मौलाना रज़ी जैदी
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कर्बला की घटना को बे नज़ीर बनाने में महिलाओं की अहम भूमिका रही हैः मौलाना रजी जैदी
हौज़ा / कर्बला की महान महिलाएँ न केवल अपनी संतानों को प्रशिक्षण देने में उत्कृष्ट थीं, बल्कि कार्य के क्षेत्र में भी उनकी कोई मिसाल नहीं थी। कर्बला की घटना को बे नज़ीर बनाने में महिलाओं की अहम भूमिका रही है, जिसका उदाहरण इतिहास आज तक बयान नहीं कर पाया है। कर्बला की महिलाओं की भूमिका हर समय की महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है।
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हज़रत अली (अ.स.) का वह फरमान जो 'आने और जाने वाली ठंड' हानिकारक और लाभदायक होने के संबंध मे अक्सर बयान होता हैंः मौलाना सैय्यद रज़ी ज़ैदी
हौज़ा/आती हुई ठंडक से बचना चाहिए और जाती हुई ठंडक से इतना बचना ज़रूरी नहीं हैं जाती हुई ठंडक शरीर के लिए लाभदायक हैं जैसा कि इमाम अली अलैहिस्सलाम की रिवायत से साबित होता हैं
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अज़ादारी और शहादते इमामे हुसैन (अ.स.)
हौज़ा / शहीदों का ग़म और विशेष रूप से सैयदुश्शोहदा इमाम हुसैन (अ.स.) का ग़म कर्बाल के वाक़ेए को जिंदा ओ जावेद बनाने का ज़रिया है। इस ग़म से अज़ादारो और हक़ के पेशवाओ के दरमियान बातीनी बंधन क़ायम होता है और साथ ही लोगो मे ज़ुल्म ओ सितम से मुक़ाबले की रूह ज़िंदा होती है।