मौलाना सफी हैदर
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हिन्दी आदाबे हरमैन आपके हाथों में है।
हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सफी हैदर ने फरमाया, हज की सआदत और मासूमीन की ज़ियारत का शरफ हासिल करने की तड़प के साथ जब कोई मोमिन हरमैन शरीफैन की मुकद्दस और पाक व पाकीज़ा फिज़ा में दाखिल होता है तो उसकी ख़ाहिश यही होती है कि उन जगहों पर मासूमीन से नक्ल होने वाली दुआयें पढ़ने के अलावा ज्यादा से ज्यादा ऐसे आमाल अन्जाम दिये जायें जो रिज़ाये परवरदिगार हासिल करने में मददगार हों।
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हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन आलीजनाब मौलाना सैयद सफी हैदर ज़ैदी
वीडियो / तूलानी कार्यक्रमों से संबंधित महत्वपूर्ण संदेश
हौज़ा / वर्तमान पीढ़ी गुलदस्ते का फूल बन गयी है, उसके अनुरूप कार्यक्रम बनाने की आवश्यकता है।
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उस रस्म को मिटाया जाए जो मासूमीन अ.स. के संदेश के खिलाफ हैं, मौलाना सैय्यद शमीमुल हसन
हौज़ा/तनज़ीमुल मकातिब के अध्यक्ष मौलाना सैय्यद शमीमुल हसन ने कहा कि जिस प्रक्रिया के लिए मासूम चुप रहे हों वह हमारे लिए सही हैं, और हम इस पर तेज़ी न करें कि हर रस्म को मिटाया जाए हम इस बात पर गौर करें कि उस रस्म को मिटाया जाए जिसके खिलाफ किसी मासूम का संदेश मौजूद हो तो वह रस्म हमारे लिए सही नहीं हैं।
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आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद मुहम्मद सादिक रूहानी के निधन पर मौलाना सफी हैदर का शोक संदेश
हौज़ा / तंज़ीमुल मकातिब लखनऊ के सचिव ने आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद मुहम्मद सादिक रूहानी रिजवान अल्लाह ताला का निधन एक बहुत बड़ी धार्मिक, धार्मिक और शैक्षणिक क्षति है।
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अहले-बैत काउंसिल इंडिया की सातवीं जनसभा में हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रजा रमजानी का संबोधन;
अहले-बैत की शिक्षाएँ तर्कसंगतता, न्याय और तर्क पर आधारित हैं
हौज़ा / हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन रजा रमजानी ने अहले-बैत (अ) काउंसिल इंडिया द्वारा ईरान कल्चर हाउस, नई दिल्ली में आयोजित सातवीं आम बैठक में बोलते हुए कहा कि अहले-बैत (अ) के अनुयायियों की उपस्थिति दुनिया का हर देश अहल अल-बैत की सोच और तर्कसंगतता, सुरक्षा और न्याय के तर्क के कारण है।
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तंज़ीमुल मकातिब के सिक्रेट्रीः
ईमानी और दीनी बुनियादों पर इन्क़िलाब वक़्त गुज़रने के साथ जवान होता है
हौज़ा / हर इन्क़िलाब चाहे जितना अवामी हो मुद्दत गुज़रने के साथ उसका दाएरा तंग होता है और असर कम, यहां तक के सफ़हए हस्ती से मिट जाता है। लेकिन ईमानी और दीनी बुनियादों पर इन्क़िलाब वक़्त गुज़रने के साथ जवान होता है और इसका दाएरा वसीअ होता जाता है। इन्क़िलाबे आशूरा जिसकी नुमायां तरीन मिसाल है।
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एक अच्छा इंसान बनने के लिए जरूरी है कि इच्छाओं को हावी न होने दिया जाए, मौलाना सफी हैदर जैदी
हौज़ा / अल्लाह ने फ़रिश्तों को बुद्धि दी इच्छा नहीं दी, जानवरों को इच्छाएँ दीं लेकिन उन्हें बुद्धि के सार से वंचित कर दिया, लेकिन बुद्धि और इच्छाओं का सार भी उस व्यक्ति को दिया जिसे उसने प्राणियों में सबसे महान बनाया। अब यह मनुष्य पर निर्भर है कि वह बुद्धि को भावनाओं से ऊपर रखकर फरिश्ता बन जाए या फिर आत्मा की इच्छाओं का पालन करते हुए पशु बन जाए।
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संस्थापक तंज़ीमुल मकातिब हाल में मजलिस का आयोजन किया गया:
जन्नत बहाने से नहीं बल्कि अमल से मिलेगी, मौलाना हैदर अब्बास रिज़वी
हौज़ा/ अल्लाह की बारगाह में इस्तेगफार दुआ, मुनाजात, टाइम पर नमाज़ अदा करने पर ही जन्नत और अल्लाह की रहमत मिलेगी,
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रसमों को दीन का नाम ना दें! मौलाना सैय्यद सफी हैदर जै़दी
हौज़ा/ तंज़ीमुल मकातिब के सचिव ने कहा कि इसालो सवाब का तरीका सिर्फ मजलिस बरपा करना और खाना खिलाना ही नहीं है बल्कि नमाज़े जमात कायेम करके भी मरहूमीन को इसका सवाब पहुंचाया जा सकता है। रीति रिवाज रस्मों को दीन का नाम देकर अंजाम देना इंसान को या तो किसी वाजीब से महरूम कर देता है। या किसी मुस्ताहब काम से भी दूर कर देता है।
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कमाल खान एक सच्चे, ईमानदार और ज़िम्मेदार पत्रकार थे: मौलाना सैय्यद सफी हैदर
हौज़ा/जनाब कमाल खान एक सच्चे, ईमानदार और जिम्मेदार पत्रकार थे। उन्होंने लोगों के अधिकारों के लिए हमेशा आवाज उठाई, उनकी अचानक निधन दुनिया के साथ-साथ राष्ट्रीय के लिए क्षति है।
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सेक्रेटरी तनज़ीमुल मकातिब लखनऊः
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद मोहम्मद सईदुल हकीम नामवर दीनी, इल्मी,सियासी,खानदाने हकीम की इंतेहाई नुमाया शख्सियत थे
हौज़ा / आप की रेहलत एक अज़ीम दीनी इल्मी ख़सारा है। हकीम खानदान की दीनी, इल्मी, जेहादी और सियासी खिदमात न फक़त इराक़ बल्कि पूरी दुनिया पर मुहीत हैं।
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ग़मे हुसैन अलैहिस्सलाम हमेशा ताज़ा है: मौलाना सय्यद सफी हैदर ज़ैदी
हौज़ा / दुनिया के हर ग़म का असर वक्त गुज़रने से कम पड़ जाता है,इसी तरह गम चाहे कितना बड़ा क्यों न हो लेकिन हादसे के बाद ही गम मनाया जाता है लेकिन ग़मे इमाम हुसैन अ०स० दुनिया का वह वाहिद ग़म है जो हमेशा ताज़ा रहता है और उसकी याद जहां वाक़ेये के बाद मनाई जा रही है वहीं वाक़िये से पहले भी मनाई गई है।
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तंज़ीमुल मकातिब ने महिलाओं के लिए ऑनलाइन धार्मिक शिक्षा शुरू की
हौज़ा / स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अन्य व्यस्तताओं की वर्तमान स्थिति के कारण, मदरसे में हर महिला का प्रवेश संभव नहीं है और उच्च धार्मिक शिक्षा के बिना लक्ष्य तक पहुंचना संभव नहीं है। इसलिए, इस महत्वपूर्ण आवश्यकता को महसूस करते हुए, तंजीमुल मकातिब के सचिव हुज्जतुल-इस्लाम मौलाना सैयद सफी हैदर जैदी साहब क़िबला ने स्कूलों के संगठन की ओर से "अल-ज़हरा विश्वविद्यालय" की स्थापना की घोषणा की ताकि दीनदार पीढ़ी अस्तित्व में आ सके और असरे ग़ैबत मे जहूर के महत्वपूर्ण कार्य के लिए तैयार हो सके।
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तन्ज़ीमुल मकातिब ने किया आन लाइन हौज़वी (मदरसा) तालीम का आग़ाज़
हौज़ा / दौरे हाज़िर में स्कूल, कालेज , यूनिवर्सिटी और रोज़गार की मसरूफियत के सबब हर इंसान के लिए मदरसा में दाख़ेला मुम्किन नहीं और आला दीनी तालीम के बग़ैर मक़सद तक रसाई भी मुम्किन नहीं, लेहाज़ा इसी अहम ज़रूरत को महसूस करते हुए सिक्रेट्री तन्ज़ीमुल मकातिब हुज्जतुल इसलाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद सफी हैदर ज़ैदी साहब क़िब्ला ने इदारे तन्ज़ीमुल मकातिब की जानिब से "ई जामिया इमामिया" का एलान किया ता कि हमारी बा अमल क़ौम बे ख़बर भी न रहे!
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मौलाना क़मर सिब्तैन मरहूम का पूरा जीवन मेरे सामने है, पूरा जीवन ज्ञान के मार्ग में बिताया, मौलाना सैयद सफ़ी हैदर ज़ैदी
हौज़ा / तंज़ीमुल मकातिब के सचिव मौलाना सफ़ी हैदर ज़ैदी ने अपने बयान में कहा: निर्माण (ख़िलक़त) और उद्योग (सनअत) दोनों का प्रयोग उर्दू में बनाने के अर्थ में किया जाता है, लेकिन अंतर यह है कि अलग-अलग चीजों से कुछ बनाना उद्योग (सनअत) कहलाता है, लेकिन किसी भी चीज की मदद के बिना जो बनाया जाता है उसे निर्माण (ख़िलक़त) कहा जाता है। मनुष्य की बनाई हुई चीजों को उद्योग (सनअत) कहा जाएगा, लेकिन निर्माण (ख़िलकत) अल्लाह के लिए विशिष्ट (मख़सूस) है।
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मैलाना सय्यद अली आबिद रिज़वी के स्वर्गवास पर तंज़ीमुल मकातिब के सचिव मैलाना सय्यद सफ़ी हैदर की संवेदना
हौज़ा / हम मौलाना मरहूम के पसमन्देगान और वाबस्तगान की खिदमत में ताज़ियत पेश करते हैं और बारगाहे माबूद में दुआ गो हैं कि रहमत व मगफेरत नाज़िल फरमाए,जवारे अहलेबैत अ०स० में बलंद दरजात अता फरमाए।
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इस्लाम की लोकतांत्रिक व्यवस्था खतरे से बाहर आ गई , मौलाना सफ़ी हैदर
हौज़ा / ईरान के वफादार और जागरूक लोगों ने अपनी अच्छी पसंद से एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे विलायत-ए-फकीह हुकूमत के पक्ष में हैं और वैश्विक उपनिवेशवाद के खिलाफ हैं। औपनिवेशिक षडयंत्र और प्रतिबंध उनकी स्थिरता को कभी हिला नहीं सकते।
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इमाम खुमैनी की क्रांति किसी विशेष देश की नहीं बल्कि दुनिया में पीड़ित मानवता के अधिकार की आवाज है, मौलाना सफी हैदर जैदी
हौज़ा / 32 पहले अब्दी नींद सो जाने वाले ने शोषित और कमजोर को प्रोत्साहित किया कि वह खुद तो चला गया लेकिन उसके विचारों ने पूरी दुनिया को जगा दिया। आज इस्लामी जागरूकता के नाम पर जुल्म के खिलाफ उठने वाली हर आवाज और कार्रवाई इस दिव्य व्यक्ति के विचारों और शिक्षाओं का परिणाम है।
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98 बरस से जन्नतुल बक़ी की वीरानी मज़लूमियत की निशानी और आलमे इस्लाम की ग़ैरत पर सवालिया निशान है, मौलाना सफी हैदर ज़ैदी
हौज़ा / तंज़ीम अल-मकातिब के प्रमुख ने कहा कि यह विस्मृति और परोपकार का एक ऐसा परोपकारी कार्य है कि जो लोग आज अल्लाह की इबादत का तरीका सिखाते हैं, उनके दरगाह वीरान हैं।
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घरों में रह कर नई नस्ल को करें इज्तेमाई इबादतों की तरबियत:मौलाना सैय्यद सफी हैदर ज़ैदी
हौज़ा/मौलाना सैय्यद सफी हैदर ज़ैदी साहब ने कहा कि ज़माना इस वक्त बुरे हालात से गुज़र रहा है, बेहतर यह है कि घरों में रहकर नई नस्ल को करें इज्तेमाई इबादतों की तरबियत
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बिस्मिल्लाहिर रहमानिर्रहीम
अली वालो! कोई महामारी (वबा) का शिकार बगैर इलाज के न रहने पाए।
हौज़ा/तंज़ीमुल मकातिब के सेक्रेटरी ने अपने एक बयान में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इस वक्त पहला काम खाना पहुंचाना नहीं बल्कि बर वक्त मरीज़ तक पहुंच कर उसकी जान बचाना है
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तन्जीमुल-मकतिब केसचिवः
अली (अ.स.) की सरकार में कोई भी भूखा नहीं सोता था, मौलाना सैयद सफी हैदर जैदी
हौज़ा / तन्जीमुल-मकतिब केसचिव ने कहा कि ब्रह्मांड में केवल अली की सरकार थी जिसमें कोई भी भूखा नहीं सोता था। इंशााल्लाह इमामे जमाना (अ.त.फ.श.) के जहूर के बाद जब सरकार बनेगी तो वहा भी यही अंदाज़ होगा।
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तंज़ीमुल मकातिब लखनऊ के सचिवः
पवित्र कुरान का विरोध वैश्विक उपनिवेशवाद मानवता का दुश्मन और इस्लाम विरोधी षड्यंत्रों का परिणाम हैः मौलाना सैयद सफी हैदर जैदी
हौज़ा / तंज़ीमुल मकातिब लखनऊ के सचिव ने कहा कि पवित्र कुरान में तहरीफ की बात करना अज्ञानता का प्रमाण है। कुरआनी आयात को हटाने की मांग करना ज़र्रा बराबर भी कुरआन ना समझने का तर्क (दलील) है ऐसी हरकते आमाल के साथ साथ इस्लाम के मूल सिद्धांतों से रहित होने का परिणाम हैं।
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देश के विभिन्न इलाकों में तनज़ीमुल मकातिब ने इमामिया स्टडी सेंटर खोले
हौज़ा / क़ौम के भविष्य के निर्माण के लिए बच्चों की धार्मिक शिक्षा और परवरिश के साथ दुनयावी शिक्षा में महत्वपूर्ण सफलता आवश्यक है।इसलिए उनकी ज़रूरी धार्मिक शिक्षा के साथ दुनयावीशिक्षा में क्वालिटी को अच्छा करने और उन्हें कम से कम हाई स्कूल तक सहारा देकर कॉमपिटीशन के लायक बनाने के लिए तनज़ीमुल मकातिब ने इमामिया स्टडी सेंटर के नाम से एक लक्ष्य तय्यार किया और प्रयोग के बाद पूरे देश में लागू करने की तरफ़ क़दम बढ़ा दिया है।