۱۵ تیر ۱۴۰۳
|۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵
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Jul 5, 2024
मौलाना सैय्यद महदी
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"क्या ज़माने मे पनपने की यहीं बाते है?", मजमा ए उलेमा और वाएज़ीन पूर्वांचल
हौज़ा/ साम्प्रदायिकता और उकसावे आदि के द्वारा देश की शान्ति को भंग कर जिस प्रकार सत्ता स्थापित की जा रही है या स्थापित की गई है, वह देश और राष्ट्र के लिए विष है।