۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024

रिशवत

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  • रिशवत लेना किसी भी सूरत जायेज़ नहीं: मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी

    रिशवत लेना किसी भी सूरत जायेज़ नहीं: मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी

    हौज़ा / इमाम हुसैन अ०स० का साथ देने वालों ने न अपनी जान की परवाह की और न ही अपनी अवलाद और माल की फिक्र की, हज़रत मुस्लिम बिन अक़ील अ०स० को मालूम था कि अगर इमाम हुसैन अ०स० का साथ देंगे तो खुद भी शहीद हों गे, बच्चे भी शहीद होंगे, बीवी को क़ैदी बनाया जाये गा, माल लूटा जाये गा लेकिन आप ने ज़िदगी के आखरी लमहों तक हक़ का एलान किया, ख़ुद शहीद हुए, दो बेटे करबला में शहीद हुए, दो बेटे कूफे में एक साल की क़ैद के बाद शहीद हुए, एक बेटी ताराजी ए ख़ेयाम के दौरान शहीद हुयीं, दूसरी बेटी और बीवी क़ैद हुईं, यज़ीदी हुकूमत ने मदीना में आप के घर को गिरा दिया कि जब आप की बीवी शाम के क़ैदखाने से आज़ाद हो कर मदीना आयीं तो अपने घर को मुंहदिम पाया तो जितने दिन भी ज़िंदा रही कभी इमाम सज्जाद अ०स० के घर रही तो कभी हज़रत ज़ैनब स०अ० के घर रहीं! 

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