शरई आहकाम
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शरई अहकाम:
जो आदमी रोज़ा रखना चाहता है क्या उसके लिए खेलाल करना ज़रूरी हैं?
हौज़ा/जो आदमी रोज़ा रखना चाहता हो उसके लिए आज़ाने सुबह से पहले दांतों में खेलाल करना ज़रूरी नहीं है, लेकिन अगर इसे ज्ञान हो कि जो खाना दातों के दरमियान में रह गई है वह दिन के वक्त पेट में चली जाएगी तो खेलाल करना ज़रूरी हैं।
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शरई अहकाम:
जादू करना या करवाना शरीयत की निगाह में कैसा है?
हौज़ा/जादू करना या करवाना यहां तक की सीखना या सीखाना या इसके माध्यम से पैसा कमाना हराम हैं?
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शरई अहकाम:
क्या फोटो ग्राफर के लिए शादी की ऐसी पार्टियों की दावत कबूल करना जिस में शराब पी जाती हो जायज़ हैं?
हौज़ा/शराब और इस तरह की दूसरी पार्टियों जो हराम है इनमें फोटो खींचना जायज नहीं है।
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शरई अहकाम:
अगर कोई हमसे किसी आदमी के अख्लाक के बारे में सवाल करे तो क्या जवाब देना ग़ीबत हिसाब होगा,
हौज़ा/अगर वह किसी खास अम्र में मशवेरा करना चाहता है जैसे शादी वगैरा तो इन मौके में इसकी ग़ीबत करना जायज़ हैंं।
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शरई अहकाम:
वह कपड़े जिनकी कैफियत अच्छी ना हों, और इस्तेमाल के लायक ना हो तो क्या इन्हें सदके में दिया जा सकता है?
हौज़ा/सदके में कोई शर्त नहीं है बल्कि काफी है कि वह सामान कीमत रखता हो, अल्बत्ता अगर सैय्यद को सदका दे रहे हैं तो इतना काम ना हो कि उसकी तौहीन हो,
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शरई अहकाम:
बिना ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाने का हुक्म क्या हैं?
हौज़ा/अगर इसमें दूसरे की जान को खतरा हो तो जायज़ नहीं है बल्कि एहतियात की बिना पर इस सूरत के अलावा भी जायज़ नहीं हैं।
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शरई अहकाम:
जो पैसा और अमवाल मजालिस ए इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के खर्च के तौर पर चंदा किए गए हो,उनसे बच जाने वाला पैसा और माल को किस चीजों में खर्च करना चाहिए?
हौज़ा/बाकी बच जाने वाला पैसा और अमवाल को हादीया करने वालों से इजाज़त लेकर नेक़ कामों में खर्च किया जा सकता हैं या इन्हें आने वाले साल की मजालिस के खर्च के लिए रखा जा सकता हैं।
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शरई अहकामः
क्या शरीर के अतिरिक्त बालों, विशेषकर बगल और ज़ेरे नाफ़ के बालों को साफ करना अनिवार्य है, और ग़ुस्ल करते समय इन बालों के संबंध में क्या हुक्म है?
हौज़ा | शरीर के अतिरिक्त बाल, बगल और ज़ेरे नाफ़ के बालों को शेव करना इस्लामी दृष्टिकोण से मुस्तहब है। और स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संबंधी मुद्दों के लिए बहुत उपयोगी है।
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शरई अहकामः
हराम विवाह / कुछ मामलों में व्यक्तियों की सहमति के बाद भी विवाह हराम है
हौज़ा / कुछ लोग सोचते हैं कि शादी करने का मैआर लोगों की सहमति पर निर्भर है, जबकि कुछ मामलों में लोगों की इच्छा होने पर भी शादी करना मना है।
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शरई अहकाम:
निकाह के दौरान घर से बाहर जाने के लिए अपने शौहर से इजाज़त लेना वाजिब और ज़रूरी हैं?
हौज़ा/अगर आपके शहर में समाज में इस चीज़ को वाजिब और ज़रूरी इजाज़त लेना समझा जाता है तो ज़रूर इजाज़त लेकर जाए
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शरई अहकाम:
मासिक धर्म वाली औरत का रोज़ा
हौज़ा/ अगर इसके पास गुस्ल करने का वक्त हो तो ज़रूरी है कि आज़ान से पहले गुस्ल करें और अगर वक्त तंग (कम )हो तो ज़रूरी है कि तयम्मुम करें और उसका रोज़ा सही हैं।
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शरई अहकाम:
रमज़ान उल मुबारक में सहरी के बग़ैर,ऐसी सूरत में रोज़ा सही है या नहीं?
हौज़ा/हौज़ा ए इल्मिया नजफ अशरफ के प्रसिद्द शिया धर्मगुरु आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं।
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आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली हुसैनी सिस्तानी का फ़तवाः
मैंने इस ग़ुमान पर की अज़ान हो गई है फर्ज़ नमाज़ पढ़ ली अब मेरा क्या हुक्म हैं?
हौज़ा/अगर मालूम हो कि नमाज वक्त दाखिल होने से पहले पड़ी है तो नमाज का अयादा करना जरूरी हैं।
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शरई अहकाम:
अगर कोई काफिर औरत मुसलमान से शादी की खातिर सिर्फ ज़बान से दोनों शहादतैन अदा करें
हौज़ा/ज़बान पर शहादतैन जारी करना काफी हैं, भले ही उसका दिल भाषा से सहमत न हो, उसके ऊपर ज़ाहिरन इस्लाम के हुक्म जारी होंगें
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शरई अहकम:
दूसरे मुल्क में राजनीतिक शरण लेने का क्या हुक्म है? क्या सीयसी शरण के लिए झूठी कहानी गढ़ना जायज़ हैं?
हौज़ा/गैर इस्लामिक हुकूमत में राजनीतिक शरण लेने में बज़ाते ख़ुद कोई हर्ज नहीं है, सिवाय इसके कि यह भ्रष्टाचार का कारण ना बने लेकिन झूठ और झूठी कहानियों का इस्तेमाल करके राजनीतिक शरण प्राप्त करना जायज़ नही हैं।
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शरई अहकम:
पश्चिमी संस्कृति का(पैरवी) पालन
हौज़ा/अगर समाज में बुराइयों का सबब ना हो तो बजाते खुद जायज़ हैं और यह काम अगर इस्लामिक कल्चर को बढ़ावा देना और पश्चिमी समाज और रस्म को बढ़ावा देने का सबब बने तो इस पर नजरिया देना समाज का काम हैं।
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शरई अहकाम:
नमाज़े जमाअत की लंबी लाइनों के इत्तेसाल का हुक्म
हौज़ा/अगर नमाज़े जमाअत की कोई लाइन इतनी लंबी हो जाए कि इमामे जमाअत या सामने वाली लाइन (सफ़) नज़र न आए क्या ऐसी हालत में लाइनों के बीच इत्तेसाल बाक़ी रहता है?
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शरई अहकम:
अपने पर्सनल काम के लिए कार्यालय का इंटरनेट इस्तेमाल करना
हौज़ा/अपने पर्सनल काम के लिए इंटरनेट का प्रयोग करना जायज़ नहीं है और अगर इंटरनेट का प्रयोग किया है तो उसकी कीमत का खुद जिम्मेदार होगा,हालांकि, अगर यह मालिक की अनुमति से है जिसके पास शरीयत और कानून के अनुसार ऐसी अनुमति देने की शक्ति है, तो कोई हर्ज नहीं हैं।
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शरई अहकाम:
गुस्ल का वुज़ू से किफायत करना
हौज़ा/सिर्फ ग़ुस्ल ए जनाबत,वुज़ू से किफायत करता हैं, लेकिन एहतियातन अंजाम दिया जाने वाला गुस्ल ए जनाबत,वुज़ू से किफायत नही करता हैं।
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शरई अहकाम:
कुनूत का ज़िक्र ऊंची आवाज़ में पढ़ना
हौज़ा/कुनूत को ऊंची आवाज़ में पढ़ना मुस्ताहब है शिवाय मामूम के लिए (नमाज़े जमाअत में) जबकी उसकी आवाज़ इमामें जमाअत तक पहुंच रही हों
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शरई अहकाम:
कागज़ पर सजदा
हौज़ा/वह कागज़ जो लकड़ी और पौधों, रुई ,और कपास के अलावा से तैयार किया गया हो उस पर सजदा सही हैं।
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शरई अहकम:
मगनी(सगाई) के दौरान संपर्क में रहना
हौज़ा/उस लड़के और लड़की के घर वालों की खबर के साथ टेलीफोन पर संपर्क रखना, और बातें करना कि जिन की आपस में मंगनी हो चुकी हैं ताकी शादी के फैसले के लिए दूसरे को अच्छी तरीके से पहचान सके, क्या हुक्म रखता हैं?
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शरई अहकम:
शरई अहकाम। मुर्गी के अंडे में पाया जाने वाला खून
हौज़ा / ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने मुर्गी के अंडे के अंदर पाया जाने वाले खून से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब दिया है।
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:शरई अहकम
फ़ज़ायल व मसाएब में ज़बाने हाल के नाम से कुछ बयान करने का हुक्म
हौज़ा/अगर ये बात साफ़ हो कि बोलने वाला वह बात ज़बाने हाल से बयान कर रहा है और वह अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम के शायाने शान भी हो तो कोई हरज नहीं हैं।
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शरई अहकाम । नक़ली बालों की स्थिति में ग़ुस्ल का हुक्म
हौज़ा/हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई से पूछे गए सवाल,नक़ली बालों की स्थिति में ग़ुस्ल का हुक्म, के बारे में जवाब दिया हैं।
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आयतुल्लाह सैय्यद अली ख़ामेनई से फ़िक़ही सवाल व जवाब:
पड़ी मिली चीज़ को इस्तेमाल करने का हुक्म
हौज़ा/सवालः मुझे एक अंगूठी पड़ी मिली है, क्या मैं उसकी क़ीमत फ़क़ीर को सदक़े के तौर पर देकर उसे इस्तेमाल कर सकता हूं?
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शरई अहकाम । नमाज़ की हालत में कज़ा से अदा की तरह नियत तब्दील करना
हौज़ा/नियत को कज़ा नमाज़ से अदा नमाज़ कि ओर तब्दील करना सही नहीं है और ऊपर बताए गए मसले में ज़रूरी है कि यह आदमी बैठ जाए और नमाज़ का सलाम बजा लाए और एहतियात ए मुस्तहब की बिना पर सलाम के बाद दो सजदे साहू बजा लाए
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शरई अहकम:
नक़ली बालों की स्थिति में वुज़ू का हुक्म
हौज़ा/अगर नक़ली बाल, विग के रूप में हैं तो ग़ुस्ल और वुज़ू के लिए इसे हटाना ज़रूरी है लेकिन अगर बाल सिर की खाल पर उगाए गए हैं और सिर की खाल तक पानी पहुंचने में रुकावट बन रहे हों और उन्हें हटाना संभव न हो (या इस काम से नुक़सान और बहुत तकलीफ़ हो) तो जबीरा का ग़ुस्ल और वुज़ू करना चाहिए और एहतियात के तौर पर तयम्मुम भी करना चाहिए।
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शरई अहकम:
मर्द की ओर से खरीदा गया दहेज का सामान
हौज़ा/ जिन चीजों का इंतज़ाम मर्द ने किया है वह उसकी संपत्ति हैं, भले ही वे महिला को उपयोग के लिए दी हों, लेकिन यह साबित हो कि इनकी मिल्कियत को हिबा, मोसालेहत या किसी और शरई तरीके से औरतों के लिए मुंतकिल कर चुका हो
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शरई अहकाम । ग़ैर इस्लामी देशों में गोश्त खरीदना
हौज़ा/अगर गोश्त मुसलमान को बेचा जा रहा हूं और शरई तरीके से जानवर को जिबाह करने का एहतेमाल दिया जाए तो मुसलमान से ऐसे गोश्त का खरीदना और इस्तेमाल में लाना कोई हर्ज नहीं रखता