शहादत ए इमाम
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हम शहादत के महान अर्थ और शहीदों की उच्च स्थिति की व्याख्या करने में असमर्थ हैं, आयतुल्लाह मज़ाहेरि
हौज़ा / हौज़ा ए इल्मिया इस्फ़हान के प्रमुख ने कहा: जिहाद और शहादत की शिक्षा और चर्चा न केवल मदरसे की कलम और दवात से नही है, बल्कि इन आध्यात्मिक शहीदों ने युद्ध के मैदान में अल्लाह और मानवता के दुश्मन के साथ व्यावहारिक रूप से अपने प्राणों की आहुति दे दी।
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हुसैनिया इमाम खुमैनी र.ह में होगी मुहर्रम की मजलिसे कोड 19 के प्रोटोकॉल के पूर्ण अनुपालन के साथ
हौज़ा/कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण और इस्लामिक क्रान्ति के नेता द्वारा कोरोना रोधी राष्ट्रीय समिति के निर्देशों के पूर्ण पालन पर विशेष बल देने के कारण इस वर्ष भी अज़ादारी की मजलिसे जारी रहेंगी, कोरोना के चलते मजलिस में एक खतिब और एक नोहा पढ़ने वाले ही शिरकत करेंगे,
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अज़ादारी और शहादते इमामे हुसैन (अ.स.)
हौज़ा / शहीदों का ग़म और विशेष रूप से सैयदुश्शोहदा इमाम हुसैन (अ.स.) का ग़म कर्बाल के वाक़ेए को जिंदा ओ जावेद बनाने का ज़रिया है। इस ग़म से अज़ादारो और हक़ के पेशवाओ के दरमियान बातीनी बंधन क़ायम होता है और साथ ही लोगो मे ज़ुल्म ओ सितम से मुक़ाबले की रूह ज़िंदा होती है।
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:दिन की हदीस
इमाम मोहम्मद बाकिर अलैहिस्सलाम की एक नसीहत
हौज़ा/ हज़रत इमाम मोहम्मद बाकिर अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में सुबह सवेरे सदक़ा देने की नसीहत की है।