समाज (24)
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उलेमा और मराजा ए इकरामबद गुमानी और बेबुनियाद उम्मीद, दोनों ही समाज में गिरावट की वजह हैं: आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली
हौज़ा/ इस्लाम के नज़रिए से, समाज की सेहत ज़्यादा और ज्यादतियों से बचने में है। न तो बहुत ज़्यादा शक सही है और न ही बेबुनियाद उम्मीद; दोनों ही समाज के लिए नुकसानदायक हैं। पवित्र कुरान, अंदाज़े…
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उलेमा और मराजा ए इकरामसमाज में हौज़ा ए इल्मिया की सक्रिया भूमिका आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है: आयतुल्लाह आराफ़ी
हौज़ा / क़ुम में आयोजित एक बड़ी वार्षिक कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने पूरे यकीन और समझ के साथ इस बात पर ज़ोर दिया कि आज के ज़माने में इंटेलेक्चुअल, सोशल और लीगल…
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भारतअगर हमारे घरों और समाज में फ़ातिमी सिस्टम क़ायम हो जाए, तो हमारा समाज जन्नत जैसा बन सकता है: मौलाना शाहवर हुसैन नक़वी
हौज़ा / हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (सला मुल्ला अलैहा) पैग़म्बर (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि व सल्लम) की प्यारी, जन्नत की शहज़ादी की शहादत के मौके पर अमरोहा शहर में बड़े पैमाने पर मजलिसो का आयोजन किया…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 11
बच्चे और महिलाएंइस्लाम: वो क्रांति जिसने औरतों को फ़ैसले और इच्छा की ताकत दी
हौज़ा/ इस्लाम के अनुसार, औरतें और मर्द दोनों इंसानी ज़िंदगी में पार्टनर हैं, और इसलिए दोनों को बराबर हक़ और समाज के फ़ैसले लेने का हक़ दिया गया है। औरतों के नेचर में दो खास बातें बताई गई हैं:…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 9
बच्चे और महिलाएंइस्लाम ने महिला के ऊपर सदियों की क्रूरता को कैसे समाप्त किया?
हौज़ा / इस्लाम ने औरत की हालत को मुलभूत रूप से बदल दिया और उसे पुरुष की तरह एक स्थायी और बराबर इंसान के रूप में माना। इस्लाम के अनुसार पुरुष और महिला सृष्टि और कर्म के हिसाब से बराबर हैं, और…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 8
बच्चे और महिलाएंएकमात्र धर्म जिसने महिलाओं को उनकी सच्ची गरिमा और मूल्य दिया
हौज़ा / इस्लाम से पहले अरब समाज में महिलाओं की स्थिति सभ्य और जंगली दोनों तरह के रवैयों का मिश्रण थी। महिलाएं आमतौर पर अपने अधिकारों और सामाजिक मामलों में स्वतंत्र नहीं थीं, लेकिन कुछ ताकतवर…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 6
बच्चे और महिलाएंपुत्रि को अपमान और अवैध बेटे को सम्मान
हौज़ा/ इस्लाम से पहले अरब समाज में औरतों का कोई इख़्तियार, इज़्ज़त या हक़ नहीं था। वे विरासत नहीं पाती थीं, तलाक़ का हक़ उनके पास नहीं था और मर्दों को बेहद तादाद में बीवियाँ रखने की इजाज़त थी।…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 5
बच्चे और महिलाएंप्राचीन ग्रीस और रोम में महिलाओं की लाचारी और उत्पीड़न की कहानी
हौज़ा / रोम और ग्रीस के पुराने समाजों में औरतों को मा तहत, बे‑इख़्तियार और अमूल्य प्राणी समझा जाता था। उनकी ज़िंदगी के तमाम मामलात चाहे इरादा हो, शादी, तलाक़ या माल‑ओ‑जायदाद सब मर्दों के इख़्तियार…
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भारततौहीद; समाज की आवश्यकता है, मौलाना अली अब्बास खान
हौज़ा/अंजुमन-ए-अब्बासिया द्वारा आयोजित अशरा मजालिस-ए-सफ़र का सिलसिला; यह दशक इमाद-उल-मुल्क, एएमयू अलीगढ़ में आयोजित किया जा रहा है, और इस सिलसिले की सातवीं मजलिस को मौलाना अली अब्बास खान ने संबोधित…
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हुज्जतुल इस्लाम ग़ुलाम अली सफ़ाई बुशहरी:
ईरानहौज़ा ए इल्मिया समाज की बौद्धिक और सांस्कृतिक रक्षा में पहली पंक्ति मे है
हौज़ा/हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन गुलाम अली सफ़ाई बुशहरी ने कहा: एक व्यक्ति जो अल्लाह और क़यामत के दिन पर विश्वास करता है, वह अपना विश्वास खो देता है यदि वह परीक्षण के दौरान धैर्य नहीं रखता…