۱۵ تیر ۱۴۰۳
|۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵
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Jul 5, 2024
समाज में औरतों को सभी मैदानों
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समाज में औरतों को सभी मैदानों में दिन ब दिन तरक़्क़ी करनी चाहिए
हौज़ा/इस्लामी पहचान यह है कि औरत अपनी पहचान और औरत होने की ख़ूबियों को बाक़ी रखने के साथ साथ, तरक़्क़ी के मैदान में आगे बढ़े। यानी अपने कोमल जज़्बात और भीतर से उबलते हुए जज़्बात की, मोहब्बत और कोमलता की और अपनी ज़नाना पाकीज़गी की रक्षा करते हुए रूहानी मूल्यों के मैदान में आगे बढ़े