हौज़ा/ मौलाना सैयद मुहम्मद अतहर काज़मी: कर्बला को समझे बिना कोई साहित्यिक अर्थ नहीं समझा जा सकता। मौलाना सलमान कासमी: हज़रत इमाम हुसैन द्वारा दी गई कुर्बानियाँ उनकी माँ के पालन-पोषण की देन हैं।