सुनहरे नुक़ू्श (1)

  • हयात ए तैय्यबा के सुनहरे नुक़ू्श

    हयात ए तैय्यबा के सुनहरे नुक़ू्श

    हौज़ा / माहे जमादी उस सानी की बीसवीं तारीख थी सुबह की पहली किरण आगोश ए नूर में जलवा अफ़रोज़ थी। शबनम की ख़ुशबू और ओस की चमक से मदीना का मौसम बड़ा सुहाना था लैलतुल-क़द्र का नूर-ए-जली, मतला-ए-फ़ज्र…