हौज़ा / माहे जमादी उस सानी की बीसवीं तारीख थी सुबह की पहली किरण आगोश ए नूर में जलवा अफ़रोज़ थी। शबनम की ख़ुशबू और ओस की चमक से मदीना का मौसम बड़ा सुहाना था लैलतुल-क़द्र का नूर-ए-जली, मतला-ए-फ़ज्र…