हौज़ा/ नमाज़ पढ़ना अल्लाह की कोई ज़रूरत नहीं है, बल्कि हमारे लिए अपने दिल और रूह को साफ़ करने और ज़िंदगी के सही रास्ते पर आगे बढ़ने का एक मौका है।