हौज़ा / आयतुल्लाह हुसैनी बू शहरी ने क़ुरआन की तिलावत अगर सोच-समझ कर की जाए तो इससे दिलों को हिदायत मिलती है और दिल गुनाहों से पाक हो जाते हैं।