हज़रत इमाम सैय्यद सज्जाद अ.स.
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हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम की शहादत के मौके पर संक्षिप्त परिचय
हौज़ा / हज़रत इमाम अली इब्नुल हुसैन अलैहिस्सलाम के कई उपनाम थे जिनमें सज्जाद, सैयदुस्साजेदीन और ज़ैनुल आबेदीन प्रमुख हैं इनकी इमामत का दौर कर्बला की घटना और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद शुरू हुआ। इस काल की ध्यान योग्य विशेषताएं हैं। इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने इस काल में अत्यंत अहम और निर्णायक भूमिका निभाई। कर्बला की घटना के समय उनकी उम्र 24 साल थी और इस घटना के बाद वे 34 साल तक जीवित रहे। इस अवधि में उन्होंने इस्लामी समाज के नेतृत्व की ज़िम्मेदारी संभाली और विभिन्न मार्गों से अत्याचार व अज्ञानता के प्रतीकों से मुक़ाबला किया।
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हज़रत इमाम सज्जाद अ.स. का ख़ुत्बा यज़ीद के दरबार में
हौज़ा/हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम का अहम खुतबा यज़ीदी दरबार में जो आपने फरमाया इल्म, हिल्म, सख़ावत,फ़साहत, बहादुरी, लोगों के दिलों में हमारी मोहब्बत, और हमारी फ़ज़ीलत यह है कि हमारे जद पैग़म्बर स.अ. और उम्मत के सबसे सच्चे इमाम अली अ.स. हमारे दादा हैं, जाफ़र तय्यार और हमज़ा हम में से हैं, शेरे ख़ुदा, शेरे रसूले ख़ुदा और हसन व हुसैन अ.स. हम में से हैं
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इमाम सज्जाद अ.स.की पहचान अल्लाह की इबादत करने वालों के सरदार के रूप में होती है।मौलाना मोहम्मद रज़ा खां रन्नवी
हौज़ा/मौलाना मोहम्मद रज़ा खां रन्नवी ने कहा कि इमाम ज़ैनुल आब्दीन अ.स. को सारी दुनिया उनके असली नाम अली इब्ने हुसैन की जगह उनके लक़्ब ज़ैनुल आब्दीन, सैय्यदुस साजेदीन से जानती है, क्योंकि वह अपनी इबादत की वजह से तमाम इबादत गुज़ारों के सरदार कहलाए
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:दिन कि हदीस
अच्छी वाणी के सुन्दर फल
हौज़ा/हज़रत इमाम सैय्यद सज्जाद अ.स ने एक रिवायत में अच्छी और पसंदीदा बात करने के 5 फायदे की ओर इशारा किया हैं।
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:दिन कि हदीस
अफज़ल तरीन जिहाद
हौज़ा/हज़रत इमाम सैय्यद सज्जाद अ.स ने एक रिवायत में अफज़लतरी जिहाद की ओर इशारा किया हैं।