हौज़ा / इमाम ए जुमआ ज़र्क़ान ने कहा,बसीरत की कमी जिहादी और तबलीगी गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। यदि बसीरत न हो तो जिहाद, तबलीग और दीन व इंक़ेलाब के रास्ते में की जाने वाली सभी कोशिशें…