हौज़ा न्यूज़ एजेंसी |
अल्लामा इक़बाल के कुछ अशार उनकी किताब इस्रार खुदी से
मुस्लिमे अव्वव शहे मरदा अली
इश्क़ रा सरमा ए ईमा अली
पहले मुसल्मान अली है, मर्दो के सरदार अली है। इश्क़ के लिए इमान का सरमाया अली है।
अज़ वेलाए दूदमानश ज़िदेह अम
दर जहा मिस्ले गौहर ताबंदेह अम
मै उनके ख़ानदान की मुहमब्बत से ज़िदा हूं, और दुनिया मे मोतीयो के भाति चमक रहा हूं।
ज़मज़म अर जूशद ज़े ख़ाके मन अज़ ऊस्त
मै अगर रीज़द ज़े ताबे मन, अज़ उस्त
अगर मेरी ख़ाक से ज़मज़म उबलते है तो यह उनही अली से है, और अगर मेरी अंगूर की टहनी से मैय टपकती है तो यह उन्ही अली से है।
अज़ रुखे उ फाले पैगम्बर गिरफ़्त
मिल्लते हक़ अज़ शेकूहश फ़र गिरफ़्त
उनके चेहरा ए मुबारक से पैग़म्बर (स) फ़ाल लिया करते थे, मिल्लते हक़ ने उनकी शान व शौकत से इज़्ज़त हासिल की है।
क़ुव्वते दीने मुबी फ़रमूदा अश
काएनात आईन पज़ीर अज़ दूदह अश
आप (स) ने अली (अ) को रोशन और ग़ालिब दीन की क़ुव्वत फ़रमाया, दुनिया ने आपके खानदान से आईन और क़ानून हासिल किया ।
मुरसले हक़ करद नामश बू तुराब
हक यदुल्लाह ख़ान्द दर उम्मुल किताब
अल्लाह के सच्चे रसूल (अ) ने आप को अबू तुराब की उपाधि दी, अल्लाह ने क़ुरआन मे आपको यदुल्लाह (अल्लाह का हाथ) करार दिया।
हर के दानाए रमूज़े ज़िदगी कीस्त
सिर्रे अस्माए अली दानद के चीस्त
हर वो जो जिंदगी के रमूज़ जानता है, जानता है कि अली के नामो के असरार क्या है।
शीरे हक इन ख़ाक़ रा तस्खीर करद
ई गिले तारीक रा अकसीर करद
अल्लाह के शेर ने इस ख़ाक को तस्खीर किया, और इस तारीक मिट्टी को अकसीर कर दिया।
मुर्तज़ा कज़ तेग़े ऊ हक रोशन अस्त
बू तुराब अज़ फ़त्ह अकलीम तन अस्त
मुर्तज़ा के उनकी तलवार से हक़ रोशन और आशकार हुआ, और वो बूतुराब अर्थात मिट्टी के बाप है कि उन्होने तन की सलतनत को फ़त्ह किया।
ज़ीरे पाश ईन्ज़ा ख़ैबर अस्त
दस्ते ऊ आन्जा क़सीमे कौसर अस्त
इस जगह यानी इस दुनिया मे ख़ैबर की शान व शौकत व शिकवा उनके पैरो के नीचे है, और उस जगह मे उनका हाथ आबे कौसर तकसीम करने वाला है।
ज़ाते ऊ दरवाज़ाे शहर ऊलूम
ज़ीरे फ़रमाइश हिजाज व चीन व रूम
उनकी ज़ात शहर उलूम का दरवाज़ा है और उनके फ़रमान के ज़ेरे ताबेअ हिजाज व चीन व रूम यानी सारी दुनिया है।
(अल्लामा इक़बाल, असरारे खुदी, दर शरह असरारे अस्माए अली मुर्तज़ा)