۱۲ آبان ۱۴۰۳ |۲۹ ربیع‌الثانی ۱۴۴۶ | Nov 2, 2024
कैलेंडर

हौज़ा / इस्लामी कैलेंडर: 29 रबीअ उल-अव्वल 1446 - 3 अक्टूबर 2024

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी 

☀ आजः 

बृहस्पतिवारः रबीअ उल-अव्वल 1446 की 29 और अक्टूबर 2024 की 3 तारीख हैं।


☀ घटनाएँ:

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☀ आज का दिन विशिष्ठ (मख़सूस) है:

हज़रत हसन बिन अली अल-अस्करी (अ.स.) से।

☀ आज के अज़कारः

-  ला इलाहा इल लल्लाहुल मलेकुल हक़्क़ुल मुबीन  (100 बार)

- या ग़फ़ूरो या रहीमो (1000 बार)

- या रज़्ज़ाको (308 बार) रोजी मे बरकत के लिए

☀ गुरुवार के दिन की दुआ

بِسْمِ اللّهِ الرَحْمنِ الرَحیمْ  बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम 

अल्लाह के नाम से ( शुरू करता हूं) जो बड़ा दयालू और रहम वाला है।

اَلْحَمْدُ لِلّٰہِِ الَّذِی أَذْهَبَ اللَّیْلَ مُظْلِماً بِقُدْرَتِہِ، وَجَائَ بِالنَّهَارِ مُبْصِراً بِرَحْمَتِہِ  अल्हमदो लिल्लाहिल लज़ी अज़हबल लैला मुज़लेमन बेक़ुदरते, वा जाआ बिन्नहारे मुबसेरन बेरहमते    

तारीफ उस खुदा के लिए है जिसने अपनी क़ुदरत से अंधेरी रात को समाप्त किया और रौशन दिन को अपनी दया से वजूद बख्शा  

وَکَسَانِی ضِیائَہُ وَأَ نَا فِی نِعْمَتِہِ۔ اَللّٰهُمَّ فَکَمَا أَبْقَیْتَنِی لَہُ فَأَبْقِنِی لاََِمْثالِہِ، وَصَلِّ  वाकसानी ज़ियाअहू वा अना फ़ी नेअमतेह, अल्लाहुम्मा फ़कमा अबक़ैयतनी लहू फ़ाअबक़ीनी लेअमसालेह, वा सल्ले    

और मुझ पर भी रौशनी बखेरी और मै उसकी नेमत से फायदा उठाता हूं ऐ माउबूद जिस प्रकार तूने मुझे आज के दिन जीवित रखा उसी प्रकार भविष्य 

عَلَی النَّبِیِّ مُحَمَّدٍ وَآلِہِ، وَلاَ تَفْجَعْنِی فِیہِ وَفِی غَیْرِہِ مِنَ اللَّیَالِی وَالْاَیَّامِ، بِارْتِکَابِ    अलन्नबी मुहम्मदिन वा आलेह, वला तफजाअनी फ़ीहे वा फ़ी ग़ैरेही मिनल लयाली वल अय्याम, बेइरतेकाबे  

मे भी जीवित रख और नबी मुहम्मद (अ) और उनकी संतान पर रहमत फ़रमा और मुझे आज और दूसरी रात्रि और दिनो मे हराम काम करने 

الَْمحَارِمِ وَاکْتِسَابِ الْمَآثِمِ وَارْزُقْنِی خَیْرَہُ وَخَیْرَ مَا فِیہِ وَخَیْرَ مَا بَعْدَہُ، وَاصْرِف अलमहारिमे वक्तेसाबिल मासेमे वरज़ुक़नी ख़ैयराहू वा ख़ैयरा मा फ़ीहे वा ख़ैयरा मा बाददू, वस्रिफ़   

और गुनाह कमाने से दाग़दार ना बना, आज के दिन मे जो भलाई है और बाद मे आने वाले इन्ही दिनो मे जो भलाई है अता फ़रमा, और 

عَنِّی شَرَّہُ، وَشَرَّ مَا فِیہِ، وَشَرَّ مَا بَعْدَہُ ۔ اَللّٰهُمَّ إنِّی بِذِمَّۃِ الْاِسْلامِ أَتَوَسَّلُ إلَیْکَ، अन्नी शर्राहू वा शर्रा मा फ़ीहे वा शर्रा मा बादहू अल्लाहुम्मा इन्नी बेज़िम्मतिल इस्लामे अतावस्सलो इलैयका    

मुझे उस दिन की बुराई जो कुछ इसमे है उसकी बुराई, है माबूद मै इस्लाम के माध्यम से तेरी ओर वसीला 

 وَبِحُرْمَۃِ الْقُرْآنِ أَعْتَمِدُ عَلَیْکَ، وَبِمُحَمَّدٍ الْمُصْطَفی صَلَّی اللّهُ عَلَیْہِ وَآلِہِ वाबे हुरमतिल कुरआने आतमेदो इलैका, वा बे मुहम्मदिल मुस्ताफा (स.)    

पकड़ता हूं और कुरान के सम्मान के साथ तुझ पर भरोसा करता हूं और मुहम्मदे मुस्तफ़ा 

 أَسْتَشْفِعُ لَدَیْکَ، فَاعْرِفِ اَللّٰهُمَّ ذِمَّتِیَ الَّتِی رَجَوْتُ بِهَا قَضَائَ حَاجَتِی، یَا أَرْحَمَ असतश्फ़ेओ लदैयका, फ़ारिफ अल्लाहुम्मा ज़िम्मतिल्लती रजूतो बेहा क़ज़ाआ हाजती, या अरहमा    

को तेरे हुज़ूर अपना शफीअ बनाता हूं, बस हे माबूद जिस ज़मानत के साथ अपनी मन्नत बर आने का उम्मीदवार हूं उस पर ध्यान दे है 

الرَّاحِمِینَ۔ اَللّٰهُمَّ اقْضِ لِی فِی الْخَمِیسِ خَمْساً لاَ یَتَّسِعُ لَها إلاَّکَرَمُکَ अर्राहेमीना, अल्लाहुम्मा इक़्ज़े ली फ़िल ख़मीसे ख़मसन ला यत्तसेओ लहा इल्ला करामक  

सर्वाधिक दया करने वाले, हे माबूद इस गुरूवार मे मेरी पांच मन्नते पूरी कर तेरी कृपा और दया के अलावा 

وَلاَ یُطِیقُها إلاَّ نِعَمُکَ، سَلاَمَۃً أَقْوی بِهَا عَلَی طَاعَتِکَ، वला यतीक़ोहा इल्ला नेआमोका, सलामतन अक़्वा बेहा अला ताअतिका  

गुनजाइश नही रखता और तेरा आर्शिवादो के अलावा कोई इसकी ताकत नही रखता ऐसा स्वास्थ प्रदान कर जिसके माध्यम से तेरी 

وَعِبادَۃً أَسْتَحِقُّ بِہا جَزِیلَ مَثُوبَتِکَ، وَسَعَۃً فِی الْحَالِ مِنَ الرِّزْقِ الْحَلاَلِ، वा ऐबादतन अस्तहिक़्को बेहा जज़ीला मसूबतेका, वा साअतन फ़िल हाले मिनर रिज़्क़िल हलाले   

इताअत पर शक्ति हासिल हो ऐसी इबादत की तौफ़ीक़ दे कि जिस से मै तेरे अज़ीम सवाब का हक़दार बन जाऊं। रिज़्क़े हलाल से 

وَأَن تُؤْمِنَنِی فِی مَوَاقِفِ الْخَوْفِ بِأَمْنِکَ، وَتَجْعَلَنِی مِنْ طَوَارِقِ الْهُمُومِ وَالْغُمُومِ वा अन तूमेनानी फ़ी मवाक़िफिल खौफ़े बे अमनेका, वा तजअलानी मिन तवारिक़िल हुमूमे वल ग़मूमे   

मेरी हालत मे कुशादगी दे। खौफ और भय के अवसरो पर अपनी शरक्ष के माध्यम से सुरक्षित कर दुख और दर्द के आलाम मे मुझे अपनी शरण मे 

فِی حِصْنِکَ وَصَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ وَاجْعَلْ تَوَسُّلِی بِہِ شَافِعاً، یَوْمَ الْقِیامَۃِ نَافِعاً फ़ी हिज़्नेका वा सल्लेअला मुहम्मदिव वा आले मुहम्मद वज्अल तवस्सोली बेहि शाफेअन, यौमल क़यामते नाफ़ेआ  

रख और मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत अता फरमा और उनमे से मेरे लिए तवस्सुल को क़यामत के दिन लाभ देने वाला शफ़ीअ बना 

إنَّکَ أَ نْتَ أَرْحَمُ الرَّاحِمِینَ۔ इन्नका अन्ता अर्हामुर्राहेमीन 

तू सर्वाधिक दयालु है। 

☀ इमाम हसन अस्करी (अ.स.) की ज़ियारत

اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا وَ لِیَّ اللّهِ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا حُجَّۃَ اللّهِ وَخَالِصَتَہُ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ   अस्सलामो अलैका या वलीयल्लाहे, अस्सलामो अलैका या हुज्जतल्लाहे वा ख़ालेसतहू, अस्सलामो अलैका 

आप (अ.) पर सलाम हो हे अल्लाह के वली आप (अ) पर सलाम हो हे हुज्जते खुदा और उसके ख़ालिस अल ख़ालिस आप (अ) पर सलाम हो।

یَا إمَامَ الْمُؤْمِنِینَ، وَوَارِثَ الْمُرْسَلِینَ، وَحُجَّۃَ رَبِّ الْعَالَمِینَ، صَلَّی اللّهُ عَلَیْکَ      या इमामल मोमेनीना, वा वारेसल मुरसलीना, वा हुज्जता रब्बिल आलामीना, सल लल्लाहो अलैका

हे मोमेनीन के इमाम और पैगंबरो के वारिस और दोनो जहान के रब की हुज्जत आप (अ) पर खुदा की रहमत हो और आप (अ) के 

وَعَلَی آلِ بَیْتِکَ الطَّیِّبِینَ الطَّاهِرِینَ، یَا مَوْلایَ یَا ٲَبا مُحَمَّدٍ الْحَسَنَ بْنَ عَلِیٍّ    वा अला आले बैतेकत तय्येबीनत ताहेरीना, या मौलाया या अला मुहम्मदिल हसन बिन अली 

परिवार वालो पर जो पाक ओ पाकीज़ा है हे मेरे सरदार हे अबु मुहम्मद हसन अस्करी (अ) बिन अली नक़ी (अ)

ٲَ نَا مَوْلیً لَکَ وَلاَِلِ بَیْتِکَ، وَہذَا یَوْمُکَ وَهُوَ یَوْمُ الْخَمِیسِ، وَٲَ نَا ضَیْفُکَ فِیہِ وَ  अना मौला लका वलेआले बैतेकि, बा वेज़ा यौमका वा होवा यौमल ख़मीसे, वा अना ज़ैफ़ोका फ़ीहे वा 

मै आप (अ) का और आपके परिवार वालो का ग़ुलाम हूं और यह दिन आप (अ) का है जो गुरूवार है मै इसमे आपक अतिथि हूं और आप की 

مُسْتَجِیرٌ بِکَ فِیہِ فَٲَحْسِنْ ضِیَافَتِی وَ إجَارَتِی بِحَقِّ آلِ بَیْتِکَ الطَّیِّبِینَ الطَّاهِرِینَ  मुस्तजीरो बेकि फ़ीहे फ़आहसिन ज़ियाफ़ति व इजारति बेहक़्क़े आले बैतेकात तय्येबीनत ताहेरीना  

शरण मे हूं मेरी बेहतरीन महमान नवाज़ी कीजिए और मुझे शरण दीजिए  इसके लिए मै आप (अ) को आप के पाक ओ पाकीज़ा परिवार का वास्ता देता हूं।

الّلهم صَل ِّعَلَی مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ وَعَجِّل ْ فَرَجَهُم    अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन वा आले मुहम्मदिन वा अज्जिल फ़राजाहुम

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