۷ آذر ۱۴۰۳ |۲۵ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 27, 2024
कैलेंडर

हौज़ा / इस्लामी कैलेंडरः 25 जमादिल अव्वल 1446 - 27 नवम्बर 2024

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

☀ आज:
बुधवार:  जमादिल अव्वल 1446 की 18 और नवम्बर 2024 की 20 तारीख है

☀ घटनाएँ:

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☀ आज का दिन मखसूस है:
1- ज़ैन उल-आबेदीन सैय्यद उस-साजेदीन, हज़रत अली बिन अल-हुसैन (अ.स.) से।
2- बाक़िर ए इल्म उन-नबी हज़रत मुहम्मद बिन अली (अ.स.) से।
3- रईस ए मज़हब जाफ़री हज़रत जाफ़र बिन मुहम्मद अल-सादिक (अ.स.) से।

☀ आज के अज़कार:
- या अरहम अर-राहेमीन (100 बार)
- या अल्लाहो या रहमानो (1000 बार)
- या क़ाबेज़ो (903 बार)

☀ इमाम हसन अस्करी (अ.स.) का फ़रमान:

आज, मंगलवार को, छह रकअत नमाज दो-दो रकअत करके पढ़े, जिसकी हर रकअत मे सूरह अल-हमद के बाद सूरह बकरा की आखरी दो आयत, आयत न. 285 और 286 पढ़े, तो अल्लाह तआला उसके सभी पापों को क्षमा कर देगा। (मफातीह उल-जिनान)

बना। हे पालनहार मुहम्मद (स.) पर रहमत नाज़िल फ़रमा जो नबीईन के ख़ातम है। 

وَتَمَامِ عِدَّۃِ الْمُرْسَلِینَ، وَعَلَی آلِہِ الطَّیِّبِینَ الطَّاھِرِینَ، وَأَصْحَابِہِ الْمُنْتَجَبِینَ، वतमामे इद्दतिल मुरसलीना, वअला आलेहित तय्येबीनत ताहेरीना, वअस्हाबेहिल मुनतजाबीना     

और जिन पर आकर रसूलो की संख्या पूरी हुई और उनकी पाक ओ पाकीज़ा संतान पर और उनके साहबे इज्ज़त असहाब पर रहमत फ़रमा

وَھَبْ لِی فِی الثُّلاثَائِ ثَلاَثاً لاَتَدَعْ لِی ذنْباً إلاَّ غَفَرْتَہُ وَلاَ غَمّاً إلاّ أَذْھَبْتَہُ، وَلاَ عَدُوّاً  वहब ली फीस्सुलासाए सलासन ला तदओ ली ज़म्बन इल्ला ग़फ़रतहू वला ग़म्मन इल्ला अज़हब्तहू, वला उदूवन   

और मंगलवार के दिन मुझे तीन चीजे प्रदान कर मेरा हर पाप क्षमा कर दे और मेरा हर दुख दूर कर दे और मेरे हर शत्रु को मुझ से 

إلاَّ دَفَعْتَہُ، بِبِسْمِ اللّهِ خَیْرِ الاََسْمَائِ، بِسْمِ اللّهِ رَبِّ الْاَرْضِ وَالسَّمائِ، أَسْتَدْفِعُ کُلَّ    इल्ला दफ़अतहू, बेबिस्मिल्लाहे खैरिल अस्माए बिस्मिल्लाहे रब्बिल अर्जे वस्समा ए अस्तदफ़ेओ कुल्ला  

 दूर हटा के अल्लाह के नाम के वास्ते से जो बेहतरीन नाम है उसके नाम से जो ज़मीन और आसमान को जीवित रखने वाला है मै अपने आप

مَکْرُوہٍ أَوَّلُہُ سَخَطُہُ، وَأَسْتَجْلِبُ کُلَّ مَحْبُوبٍ أَوَّلُہُ رِضَاہُ، فَاخْتِمْ لِی مِنْکَ   मकरूहिन अव्वलूहू सख़तोहू, वस्तजलिब कुल्ला महबूबिन अव्वलोहू रिज़ाहो, फ़ख्तिम ली मिनका    

से हर मकरूह का अंत चाहता हूं जिसका आरम्भ अल्लाह का क्रोध है और हर महबूब चीज को चाहता हूं कि जिसका आरम्भ अल्लाह की मर्जी है। बस हे

بِالْغُفْرانِ یَا وَ لِیَّ الْاِحْسَانِ ۔    बिल ग़ुफ़राने या वली यलएहसान   

अहसान के मालिक मेरा अंत अपनी ओर से बख्शिश के साथ कर।

☀ मंगलवार के दिन आइम्मा ए बक़ीअ की ज़ियारतः

मंगलवार यह इमाम ज़ैन उल आबेदीन, इमाम मुहम्मद बाक़िर और इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) का दिन है।

तीनो इमामो की ज़ियारत 

اَلسَّلاَمُ عَلَیْکُمْ یَا خُزَّانَ عِلْمِ اللّهِ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکُمْ یَا تَرَاجِمَۃَ وَحْیِ اللّهِ، اَلسَّلاَمُ    अस्सलामो अलैकुम या ख़ुज़्ज़ाना इल्मिल्लाहे, अस्सलामो अलैकुम या तराजेमता वहयिल्लाहे, अस्सलामो 

सलाम हो आप पर जो इल्मे इलाही के खजाने दार है, सलाम हो आप पर जो वही इलाही के तरजुमान है, आप पर 

عَلَیْکُمْ یَا ٲَئِمَّۃَ الْھُدَی، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکُمْ یَا ٲَعْلامَ التُّقی، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکُمْ یَا ٲَوْلادَ   अलैकुम या आइम्मतिल हुदा, अस्सलामो अलैकुम या आलामुत्तुक़ा, अस्सलामो अलैकुम या औलादा

सलाम हो जो हिदायत देने वाले इमाम है आप पर सलाम हो जो तक़वे निशान है आप पर सलाम हो जो रसूले ख़ुदा (स) के  

رَسُولِ اللّهِ ٲَنَا عَارِفٌ بِحَقِّکُمْ مُسْتَبْصِرٌ بِشَٲْنِکُمْ مُعادٍ لاََِعْدائِکُمْ مُوَالٍ لاََِوْ لِیَائِکُمْ  रसूलिल्लाहे अना आरेफ़ुन बेहक़्क़ेकुम मुस्तबसेरुन बेशानेकुम मुआदिन लेआदाएकुम मुवालिन लेओलेयाएकुम

फ़रज़ंद है मै आपके हक़ को जानता हूं आपकी शान को समझता हूं आपके दुश्मनो का दुश्मन हूं आपके दोस्तो का दोस्त हूं

بِٲَبِی ٲَنْتُمْ وَٲُمِّی صَلَواتُ اللّهِ عَلَیْکُمْ اَللّٰھُمَّ إنِّی ٲَتَوالی آخِرَھُمْ کَمَا تَوالَیْتُ ٲَوَّلَھُمْ    बेअबि अंतुम व उम्मी सल्वातुल्लाहे अलैकुम अल्लाहुम्मा इन्नी अतावाली आख़ेराहुम कमा तवालैयतो अव्वालाहुम

मेरे मां बाप आप पर क़ुरबान आप पर खुदा की रहमते हो, हे माबूद मै उनके आख़िर से ऐसी मोहब्बत रखता हूं जैसी उनके अव्वल 

وَٲَبْرَٲُ مِنْ کُلِّ وَلِیجَۃٍ دُونَھُمْ، وَٲَکْفُرُ بِالْجِبْتِ وَالطَّاغُوتِ وَاللاَّتِ وَالْعُزَّی    वअबरओ मिन कुल्ले वलीजतिन दूनाहुम, वअकफ़ोरो बिल जिब्ते वत्ताग़ूते वल्लाते वल उज़्ज़ा

से है और उनके मुक़ाबिल प्रत्येक समूह से दूर हूं और जादूगर ताग़ूत और लातो व उज़ा का इंकार करता हूं

صَلَوَاتُ اللّهِ عَلَیْکُمْ یَا مَوالِیَّ وَرَحْمَۃُ اللّهِ وَبَرَکاتُہُ ۔ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا سَیِّدَ  सलवातुल्लाहे अलैकुम या मवालिय्या वा रहमतुल्लाहे वबराकातोह, अस्सलामो अलैका या सय्यदल

हे मेरे सरदार आप पर ख़ुदा की रहमत और बरकत हो आप पर सलाम हो ऐ आबिदो 

الْعَابِدِینَ وَسُلالَۃَ الْوَصِیِّینَ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا بَاقِرَ عِلْمِ النَّبِیِّینَ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ  आबेदीना वसुलालतल वसीयीसीना, अस्सलामो अलैका या बाकेरा इल्मिन नबीईना, अस्सलामो अलैका

के सरदार और वसीदो की अस्ल आप पर सलाम हो हे अबिंया के इल्म को ज़ाहिर करने वाले आप पर सलाम हो 

یَا صَادِقاً مُصَدَّقاً فِی الْقَوْلِ وَالْفِعْلِ یَا مَوالِیَّ ہذَا یَوْمُکُمْ وَھُوَ یَوْمُ الثُّلاثَائِ وَٲَنَا   या सादेक़न मुसद्देक़न फ़िल कौले वल फेले या मवालिय्या बेजा यौमोकुम वा होवा यौमुस्सलासाए वा अना

हे वो सादिक जिसकी पुष्टि उसकी कथनी और करनी मे की गई। हे मेरे तीनी सरदारो यह मगंल वाला दिन आपका दिन है और मै

فِیہِ ضَیْفٌ لَکُمْ وَمُسْتَجِیرٌ بِکُمْ، فَٲَضِیفُونِی وَٲَجِیرُونِی بِمَنْزِلَۃِ اللّهِ عِنْدَکُمْ وَآلِ फीहे ज़ैफ़ुन लकुम व मुस्तजतीरो बेकुम, फ़अज़ीफ़ूनी वअज़ीरूनी बेमंज़िलतिल्लाहे इन्दकुम वा आले

इसमे आपका मेहमान हूं और आपकी शरण मे हूं अतः आप मेरी मेहमान नवाज़ी कीजिए और मुझे शरण दीजिए खुदा के उस स्थान के वास्ते जो 

بَیْتِکُمُ الطَّیِّبِینَ الطَّاھِرِین۔   बैतेकुमत तय्येबीनत ताहेरीना।

आपके नजदीक है और अपने पाको पाकीज़ा परिवार के वास्ते से।

الـّلـهـم صـَل ِّعـَلـَی مـُحـَمـَّدٍ وَآلِ مـُحـَمـَّدٍ وَعـَجــِّل ْ فــَرَجـَهـُم   अल्लाहुम्मा सल्ले अला मोहुम्मदिन वा आले मुहम्मदिन वअज्जिल फ़राजहुम

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