शनिवार 4 जनवरी 2025 - 16:25
माहे रजब में अल्लाह तआला हर अमल का सवब देता हैः  मौलाना सय्यद अहमद अली आबदी

हौज़ा / माहे मुबारक रजब,यह रजब का पवित्र महीना है एक मुबारक तारीखों का महीना, जिसमें अल्लाह तआला ने हमें बड़ी-बड़ी और अज़ीम नेमतें अता की हैं यह वही महीना है जिसका आदर जाहिल लोग भी किया करते थे,यहाँ तक कि इस महीने में जिहालत और कुफ्र पर रहने वाले लोग भी आपसी लड़ाई-झगड़ा और फसाद नहीं किया करते थे। तो कम से कम हम उनसे आगे हैं और हमारा मकाम उनसे ऊँचा है इसलिए, यह महीना ऐसा होना चाहिए कि हमारे बीच कोई आपसी झगड़ा, कोई लड़ाई, कोई फसाद या हंगामा न हो, ताकि हम इस पवित्र महीने की गरिमा और सम्मान को बनाए रख सकें।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,मुंबई के इमामे जुमा हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद अहमद अली आबिदी ने 3 जनवरी 2025 को शिया खोजा जामा मस्जिद मुंबई में जुमे के ख़ुत्बे में कहा,यह माह ए मुबारक रजब है, यह पवित्र तारीखों का महीना है जिसमें अल्लाह ने हमें बड़ी और महान नेमतें अता की हैं।

यह वह महीना है जिसका जाहिल लोग भी सम्मान करते थे वे इस महीने में लड़ाई-झगड़े और युद्ध को बंद कर देते थे। यहाँ तक कि काफिर और जाहिल भी इस महीने में फसाद और झगड़े से बचते थे तो, कम से कम हमें उनसे आगे होना चाहिए और हमारा मकाम उनसे ऊँचा है।

यह महीना ऐसा हो कि हमारे बीच कोई आपसी झगड़ा, लड़ाई, फसाद या हंगामा न हो, ताकि हम इस पवित्र महीने की गरिमा बनाए रख सकें। इस महीने में रोज़े रखने के फ़ज़ायल पहले भी बयान किए जा चुके हैं। जो व्यक्ति रोज़ा रखेगा अल्लाह उसे जहन्नम की आग से दूर करेगा जन्नत नसीब करेगा और उसके गुनाह माफ करेगा।

मौलाना सैयद अहमद अली आबिदी ने आगे कहा,यह महीना दुआओं का महीना है और साथ ही यह महीना नजर-ओ-नियाज़ और कोंडों के नाम से भी जाना जाता है।

यह एक अच्छी परंपरा है हम मासूमीन (अ.स.) के नाम पर लोगों को खिलाते हैं। अच्छी चीजें खिलानी चाहिए, उम्दा और पाक चीजें पेश करनी चाहिए। इसमें कोई हर्ज नहीं है।

लेकिन अगर इसमें मासूम अ.स.का नाम है, तो नियत भी मासूम के लिए होनी चाहिए इसमें अपनी शोहरत और नाम-ओ-नमूद कम होनी चाहिए।

अल्लाह जो सवाब देगा वह बिरयानी पर नहीं बल्कि नियत पर देगा। सवाब का संबंध पकौड़ों, बिरयानी या अन्य चीजों से नहीं बल्कि नियत से है कि किस नियत से और किसको खिलाया जा रहा है। जितना ज्यादा हो सके खिलाइए। दोस्तों को खिलाइए, मोमिनों को खिलाइए। और बेहतर यह है कि गरीबों को भी कुछ न कुछ खिलाते रहिए। इस महीने में कोशिश करें कि आप गरीबों तक अच्छा खाना पहुँचाएँ।

मौलाना सैयद अहमद अली आबिदी ने खाना खिलाने की फज़ीलत पर एक रिवायत बयान की,एक शख्स ने इमाम जाफर सादिक (अ.स.) से अपनी तंगी की शिकायत की कि वह परेशान है और उसके पास पैसे नहीं हैं।

इमाम अ.स. ने उससे कहा, दावत करो। उस व्यक्ति ने कहा: मौला, मेरे पास पैसे नहीं हैं, मैं दावत कैसे करूँ? इमाम (अ.स.) ने फिर फरमाया: दावत करो और लोगों को बुलाओ। जब लोग तुम्हारे हक़ में दुआ करेंगे तो तुम्हारी परेशानी दूर हो जाएगी।

उस व्यक्ति ने अपने घर की कुछ चीजें बेचकर लोगों को बुलाया जब लोगों ने उसके लिए दुआ की, तो अल्लाह ने उसकी परेशानी दूर कर दी और उसके कर्ज अदा हो गया।मौलाना ने कहा,आप भी ऐसा कर सकते हैं। इस महीने में कुछ लोगों को दावत दें और उनसे अपने लिए दुआ कराएँ।

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