बुधवार 29 जनवरी 2025 - 13:33
पाकिस्तान ने डिजिटल मीडिया को नियंत्रित करने के लिए कानून को मंजूरी, देशभर में विरोध प्रदर्शन

हौज़ा / ऑनलाइन अपराधों को नियंत्रित करने वाले कानून में "फर्जी खबर" फैलाने पर 3 साल की जेल और 20 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। इमरान खान की पार्टी पत्रकारों के साथ मिलकर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही इस कानून को अदालत में चुनौती देने की योजना बना रही है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, पाकिस्तान में साइबर अपराध से निपटने के लिए इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम अधिनियम (पीईसीसीए) में संशोधन को मंजूरी दिए जाने के बाद पत्रकारों ने अपना विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है। उन्होंने इस कानून को, जिसमें सोशल मीडिया पर "फर्जी खबर" फैलाने पर 3 साल की जेल और 20 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है, "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" पर अंकुश लगाने का प्रयास बताया है। इमरान खान की पार्टी ने भी पत्रकारों का समर्थन करते हुए इस कानून को अदालत में चुनौती देने की घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि सीनेट की मंजूरी के बाद कानून का संशोधित मसौदा राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के पास हस्ताक्षर के लिए भेज दिया गया है।

पाकिस्तान फेडरल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (पीएफयूजे) ने संशोधित कानून को पत्रकारों को निशाना बनाने की रणनीति बताते हुए देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। मंगलवार को ही लाहौर, इस्लामाबाद और कराची सहित देश के विभिन्न शहरों में प्रदर्शन हुए तथा इनके जारी रहने की संभावना है। इस्लामाबाद में नेशनल प्रेस क्लब के बाहर शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन संसद भवन तक पहुंचा, जहां पत्रकारों ने सरकार के कदम की कड़ी आलोचना की, इसे “काला ​​कानून” कहा और इसे वापस लेने की मांग की।

संघीय मंत्री राणा तनवीर ने सीनेट की मंजूरी के लिए सदन में संशोधन विधेयक पेश किया, जिसका विपक्ष ने विरोध किया और कुछ सदस्यों ने विरोध में इसकी प्रतियां भी फाड़ दीं। इस बीच, प्रेस गैलरी में बैठे पत्रकार विरोध स्वरूप बाहर चले गए। मंत्री राणा तनवीर का दावा है कि इस कानून का अखबारों, टीवी या पत्रकारों से कोई संबंध नहीं है। यह सोशल मीडिया से निपटेगा। दूसरी ओर, पीटीआई सीनेटर शिबली फ़राज़ ने आशंका जताई कि इस कानून के तहत किसी को भी उठा लिया जाएगा और कहा जाएगा कि आपने कानून का उल्लंघन किया है। विभिन्न पत्रकार संगठनों की संयुक्त कार्रवाई समिति ने पहले ही इस विधेयक को अस्वीकार कर दिया था। विधेयक पारित होने के दौरान पत्रकारों ने नेशनल असेंबली और सीनेट के सत्रों से भी वॉकआउट किया। संशोधनों में ‘सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म’ की नई परिभाषा भी शामिल की गई है, जिसमें सोशल मीडिया तक पहुंचने के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण और सॉफ्टवेयर शामिल हैं। यानी अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में 'वेबसाइट', 'एप्लीकेशन' या 'संचार चैनल' को भी शामिल कर लिया गया है।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha