हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,6वी अंतर्राष्ट्रीय क़ुद्स शरीफ़ कॉन्फ्रेंस "हय्या अला-ल-क़ुद्स" के नाम से बुधवार, 26 मार्च को इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ ईरान के शहर अस्लवीए में 13 देशों के 80 विदेशी मेहमानों की मौजूदगी में आयोजित हुई
इस कॉन्फ्रेंस में आयतुल्लाह मोहम्मद हसन अख़्तरी फिलिस्तीन के 20 प्रमुख उलेमा, विभिन्न धर्मों और मज़हबों के नेता व प्रतिनिधि और दक्षिणी ईरान के 400 शिया विद्वानों व बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया।
कमेटी फॉर द डिफेंस ऑफ़ पैलेस्टाइन के प्रमुख आयतुल्लाह मोहम्मद हसन अख़्तरी ने ज़ोर देकर कहा,तबलीग (प्रचार) एक बेहद कीमती और महान कार्य है अल्लाह तआला ने अपने काम की बुनियाद तबलीग पर रखी नबियों को तबलीग के लिए भेजा और कुरआन में तबलीग के सिद्धांत व तरीके स्पष्ट रूप से बताए गए हैं।
उन्होंने आगे कहा,हमें फिलिस्तीन और क़ुद्स के मुद्दे पर नई सांस्कृतिक और प्रचार सामग्री तैयार करने की ज़रूरत है। हर साल नई फिल्में और डॉक्यूमेंट्री क्लिप्स बनाई जानी चाहिए क्योंकि हमारे देश में इस संबंध में अनेक संभावनाएं और क्षमताएं मौजूद हैं मीडिया को चाहिए कि वह इस्लामी प्रतिरोध (मुक़ावमत) की सफलताओं को प्रभावी तरीके से दुनिया के सामने पेश करे।
उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा,दुर्भाग्य से कुछ देश नहीं चाहते कि 'यौम-ए-क़ुद्स' (क़ुद्स दिवस) वैश्विक स्तर पर उजागर हो। यह हैरानी की बात है कि कुछ यूरोपीय और अमेरिकी देशों में फिलिस्तीन का समर्थन किया जाता है, लेकिन कुछ अरब देशों में न कोई आवाज़ उठती है और न ही फिलिस्तीन के हक में कोई प्रदर्शन होता है। अरब देशों के छात्रों को चाहिए कि वे जागें और मज़लूम फिलिस्तीनी कौम के समर्थन में अपनी आवाज़ बुलंद करें।
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