हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, आयतुल्लाह क़ाज़ी जो अपने आरिफाना और रूहानी अनुभवों के लिए प्रसिद्ध हैं उन्होंने मुश्किलाजपत के हल और दुनियावी व आख़िरवी रुकावटों से निजात पाने के लिए एक ख़ास ज़िक्र तजवीज़ किया था।
अल्लामा अंसारी लाहीजी जो आयतुल्लाह क़ाज़ी के शागिर्दों में से हैं बयान करते हैं कि उन्होंने एक बार अपने उस्ताद से पूछा,अगर किसी मुश्किल या परेशानी में फँस जाऊँ तो कौन सा ज़िक्र पढ़ूँ ताकि गशाइश नसीब हो?
इस पर आयतुल्लाह क़ाज़ी ने फ़रमाया,पाँच बार दरूद और आयतुल कुर्सी पढ़ने के बाद दिल में बार बार यह दुआ दोहराओ,
اللّهُم اجعَلنی فی دِرعِکَ الحَصینَةِ الّتی تََجعَلُ فیها مَن تَشاءُ
ऐ अल्लाह! मुझे अपनी मजबूत हिफ़ाज़ती ढाल में रख, जिसमें तू जिसे चाहे रखता है।
इंशाअल्लाह इससे गशाइश होगी।अल्लामा अंसारी तस्दीक़ करते हैं कि जब भी उन्होंने किसी सख़्त परेशानी या ना काबिल-ए-हल मसले में इस दुआ का सहारा लिया, तो हैरतअंगेज़ तौर पर मुसबत नताइज देखने को मिले।
यह दुआ उन लोगों के लिए एक क़ीमती तोहफ़ा है जो मुश्किलात के भंवर में फँसे हुए हैं और अल्लाह की मदद के तलबगार हैं।
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