हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आज 8 शव्वाल 1446, 7 अप्रैल 2025 को जन्नतुल बक़ी की शहादत की वर्षगांठ है।वहाबियों ने 8 शव्वाल सन 1344 हिजरी क़मरी बराबर 21 अप्रैल 1962 को पवित्र नगर मदीने में स्थित जन्नतुलबक़ी की मज़ार को शहीद कर दिया था।
वहाबियों ने पवित्र क़ुरआन और पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (स) की शिक्षाओं के विपरीत अपने हिसाब से धर्म की व्याख्या करते हुए मदीने में जन्नतुलबक़ी में मौजूद पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों और शिया मुसलमानों के चार इमामों इमाम हसन, इमाम ज़ैनुल आबेदीन, इमाम मुहम्मद बाक़र और इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिमुस्सलाम के रौज़ो को तोड़ दिया था।
जन्नतुलबक़ी वह पहला रौज़ा था जो इस्लाम के उदयकाल में पैग़म्बरे इस्लाम (स) के आदेश पर मुसलमानों ने बनाया था।
उल्लेखनीय है कि पवित्र स्थलों और इस्लामी प्राचीन इमारतों को तोड़ना, इस्लाम के उन शत्रुओं की एक चाल है जो मुसलमानों की एतिहासिक एवं प्राचीन पहचान को मिटाना चाहते हैं जन्नतुलबक़ी की शहादत इसी षडयंत्र का एक भाग थी।
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