हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, आयतुल्लाह मल्की तबरेज़ी का कहना है कि यह आदत सिर्फ आत्म-जागरूकता (self awareness) की निशानी नहीं है बल्कि इंसान के चरित्र को सुधारने और अल्लाह से अपने रिश्ते को मज़बूत करने का एक बेहतरीन तरीका है।
आयतुल्लाह मल्की तबरेज़ी फरमाते हैं,सोने से पहले आत्म-मंथन (अपना हिसाब-किताब लेना) एक महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है। इंसान को चाहिए कि वह रात के समय सोने से पहले यह देखे कि दिन भर उसने कौन-कौन से काम किए, क्या कहा, कैसी हरकतें कीं और किस प्रकार से जीवन जिया।
यह शिक्षा बताती है कि अगर इंसान रोज़ रात को खुद से सवाल करे मैंने क्या अच्छा किया? क्या बुरा किया? किससे गलत बात की? किसकी मदद की? — तो उसकी आत्मा भी शुद्ध होगी और उसका रिश्ता ईश्वर से भी गहरा होगा।
(स्रोत: असरारु-अस्सलात, भाग 1, पृष्ठ ...)
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