हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
☀ आज:
 मंगलवार:  ज़िलक़ादा 1446 की 8 और मई 2025 की 6 तारीख है
☀ घटनाएँ:
1- आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद मुहम्मद रज़ा गुलपाएगानी (र) की विलादात 1316 हिजरी
2- आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद मुहम्मद हकीम (र) की विलादत 1354 हिजरी
☀ पूर्ववर्ती घटनाएँ:
▪️3 दिन इमाम रज़ा (अ) की विलादत मे
▪️21 दिन इमाम जवाद (अ) की शहादत मे
▪️28 दिन इमाम बाक़िर (अ) की शहादत मे
▪️30 दिन रोज़े अरफ़ा मे
▪️31 दिन ईद उल अज़्हा मे
☀ आज का दिन मखसूस है:
 1- ज़ैन उल-आबेदीन सैय्यद उस-साजेदीन, हज़रत अली बिन अल-हुसैन (अ.स.) से।
 2- बाक़िर ए इल्म उन-नबी हज़रत मुहम्मद बिन अली (अ.स.) से।
 3- रईस ए मज़हब जाफ़री हज़रत जाफ़र बिन मुहम्मद अल-सादिक (अ.स.) से।
☀ आज के अज़कार:
 - या अरहम अर-राहेमीन (100 बार)
 - या अल्लाहो या रहमानो (1000 बार)
 - या क़ाबेज़ो (903 बार)
☀ इमाम हसन अस्करी (अ.स.) का फ़रमान:
आज, मंगलवार को, छह रकअत नमाज दो-दो रकअत करके पढ़े, जिसकी हर रकअत मे सूरह अल-हमद के बाद सूरह बकरा की आखरी दो आयत, आयत न. 285 और 286 पढ़े, तो अल्लाह तआला उसके सभी पापों को क्षमा कर देगा। (मफातीह उल-जिनान)
☀ मंगलवार के दिन की दुआ
بِسْمِ اللّهِ الرَحْمنِ الرَحیمْ बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम
खुदा के नाम से (शुरू से करता हूं) जो बड़ा महरबान निहायत रहम वाला है।
اَلْحَمْدُ لِلّٰہِِ وَالْحَمْدُ حَقُّہُ کَمَا یَسْتَحِقُّہُ حَمْداً کَثِیراً، وَأَعُوذُ بِہِ مِنْ شَرِّ نَفْسِی إنَّ अल्हमदो लिल्लाहे वलहम्दो हक़्क़हू कमा यस्तहिक़्क़हू हमदन कसीरन, व आउज़ो बेहि मिन शर्रे नफ़्सी इन्ना
हम्द खुदा के लिए है और हम्द इसी का हक़ है जैसा कि हम्द कसीर उसी के शायान शान है और मै अपने नफ्स के शर से इसी की पनाह चाहता हूँ
النَّفْسَ لاَََمَّارَۃٌ بِالسُّوئِ إلاَّ مَا رَحِمَ رَبِّی، وَأَعُوذُ بِہِ مِنْ شَرِّ الشَّیْطَانِ الَّذِی अन नफ़्सो लेअम्मारता बिस् सूए इल्ला मा रहेमा रब्बी, व आउज़ो बेहि मिन शर्रिश शैतानिल लज़ी
बेशक नफ़्स बराई पर उकसाने वाला है मगर यह कि मेरा रब रहम कर दे और इसी की पनाह लेता हूँ शैतान के शर से
یَزِیدُنِی ذَ نْباً إلَی ذَ نْبِی، وَأَحْتَرِزُ بِہِ مِنْ کُلِّ جَبَّارٍ فَاجِرٍ، وَسُلْطَانٍ جَائِرٍ، وَعَدُوٍّ यज़ीदूनी ज़म्बन एला ज़म्बी, व अहतरेज़ो बेहिम मिन कुल्ले जब्बारिन फ़ाजेरिन, व सुलतानिन जाएरिन, व अदुव्विन
जो मेरे लिए एक गुनाह पर दूसरे का इज़ाफ़ा करता रहता है मै हर जाबिर बदकार और ज़ालिम हुक्मरान और क़वी दुशमन के मुकाबिल खुदा से
قَاھِرٍ اَللّٰھُمَّ اجْعَلْنِی مِنْ جُنْدِکَ فَ إنَّ جُنْدَکَ ھُمُ الْغَالِبُونَ وَاجْعَلْنِی مِنْ حِزْبِکَ فَ إنَّ क़ाहेरिन अल्लाहुम्मा इज्अलनी मिन जुनदेका फइन्ना जुन्दका होमुल ग़ालेबूना वज्अलनी मिन हिज़बेका फ़इन्ना
तहफ़्फ़ुज़ चाहता हूँ। ए माबूद मुझे अपने लशकर मे क़रार दे क्योकि तेरा लशकर ही ग़ालिब रहने
حِزْبَکَ ھُمُ الْمُفْلِحُونَ، وَاجْعَلْنِی مِنْ أَوْ لِیَائِکَ فَ إنَّ أَوْ لِیائَکَ لاَ خَوْفٌ عَلَیْھِمْ وَلاَ हिज़्बका होमुल मुफ़लेहूना, वजअलनी मिन औलेयाएका फ़इन्ना औलेयाएका ला खौफ़ुन अलैहिम वला
वाला है और मुझे अपने गिरोह मे क़रार दे क्योकि तेरा ही गिरोह कामयाब होने वाला है और मुझे अपने दोस्तो मे शामिल फ़रमा कि
ھُمْ یَحْزَنُونَ، اَللّٰھُمَّ أَصْلِحْ لِی دِینِی فَ إنَّہُ عِصْمَۃُ أَمْرِی، وَأَصْلِحْ لِی آخِرَتِی हुम यहज़नूना, अल्लाहुम्मा अस्लेह ली दीनी फ़इन्नहू इस्मतुन अमरी, व अस्लेह ली आखेरती
तेरी दोस्तो को कुछ भी खौफ़ और हुज़्न व रंज ना होगा। ऐ माबूद मेरे दीन मे बेहतरी फ़रमा दे क्योकि यह मेरी ज़ात का नेगेहबान है
فَإنَّہا دَارُ مَقَرِّی، وَ إلَیْھَا مِنْ مُجا وَ رَۃِ اللِّئَامِ مَفَرِّی، وَاجْعَلِ الْحَیَاۃَ زِیادَۃً لِی فِی کُلِّ خَیْرٍ، फ़इन्नहा दारो मक़र्ररी, व इलैहा मिन मुजावरते अल्लाएमे मफ़र्री, वज्अलिल हयाता ज़ियादतन ली फ़ी कुल्ले ख़ैरिन
और मेरी आखरत को सनवार दे कि वह मेरा पक़्का ठिकाना है और वह पस्त लोगो से फ़रार कर जाने की जगह है और मेरी जिंदगी मे हर ख़ैर व नेकी
و َالْوَ فَاۃَ رَاحَۃً لِی مِنْ کُلِّ شَرٍّ، اَللّٰھُمَّ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ خاتَمِ النَّبِیِّینَ، व अलौ फ़ातन राहतन ली मिन कुल्ले शर्रेिन, अल्लाहुम्मा सल्ले अला मोहम्मदिन ख़ातेमिन नबीय्यीना
को बढ़ा दे और मेरी मौत को हर बुराई से बच जाने का ज़रिया बना। ऐ माबूद मुहम्मद (स) पर रहमत फ़रमा जो नबीयो के खातम है
وَتَمَامِ عِدَّۃِ الْمُرْسَلِینَ، وَعَلَی آلِہِ الطَّیِّبِینَ الطَّاھِرِینَ، وَأَصْحَابِہِ الْمُنْتَجَبِینَ، वतमामे इद्दतिल मुरसलीना, वअला आलेहित तय्येबीनत ताहेरीना, वअस्हाबेहिल मुनतजाबीना
और जिन पर आकर रसूलो की संख्या पूरी हुई और उनकी पाक ओ पाकीज़ा संतान पर और उनके साहबे इज्ज़त असहाब पर रहमत फ़रमा
وَھَبْ لِی فِی الثُّلاثَائِ ثَلاَثاً لاَتَدَعْ لِی ذنْباً إلاَّ غَفَرْتَہُ وَلاَ غَمّاً إلاّ أَذْھَبْتَہُ، وَلاَ عَدُوّاً वहब ली फीस्सुलासाए सलासन ला तदओ ली ज़म्बन इल्ला ग़फ़रतहू वला ग़म्मन इल्ला अज़हब्तहू, वला उदूवन
और मंगलवार के दिन मुझे तीन चीजे प्रदान कर मेरा हर पाप क्षमा कर दे और मेरा हर दुख दूर कर दे और मेरे हर शत्रु को मुझ से
إلاَّ دَفَعْتَہُ، بِبِسْمِ اللّهِ خَیْرِ الاََسْمَائِ، بِسْمِ اللّهِ رَبِّ الْاَرْضِ وَالسَّمائِ، أَسْتَدْفِعُ کُلَّ इल्ला दफ़अतहू, बेबिस्मिल्लाहे खैरिल अस्माए बिस्मिल्लाहे रब्बिल अर्जे वस्समा ए अस्तदफ़ेओ कुल्ला
दूर हटा के अल्लाह के नाम के वास्ते से जो बेहतरीन नाम है उसके नाम से जो ज़मीन और आसमान को जीवित रखने वाला है मै अपने आप
مَکْرُوہٍ أَوَّلُہُ سَخَطُہُ، وَأَسْتَجْلِبُ کُلَّ مَحْبُوبٍ أَوَّلُہُ رِضَاہُ، فَاخْتِمْ لِی مِنْکَ मकरूहिन अव्वलूहू सख़तोहू, वस्तजलिब कुल्ला महबूबिन अव्वलोहू रिज़ाहो, फ़ख्तिम ली मिनका
से हर मकरूह का अंत चाहता हूं जिसका आरम्भ अल्लाह का क्रोध है और हर महबूब चीज को चाहता हूं कि जिसका आरम्भ अल्लाह की मर्जी है। बस हे
بِالْغُفْرانِ یَا وَ لِیَّ الْاِحْسَانِ ۔ बिल ग़ुफ़राने या वली यलएहसान
अहसान के मालिक मेरा अंत अपनी ओर से बख्शिश के साथ कर।
☀ मंगलवार के दिन आइम्मा ए बक़ीअ की ज़ियारतः
मंगलवार यह इमाम ज़ैन उल आबेदीन, इमाम मुहम्मद बाक़िर और इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) का दिन है।
तीनो इमामो की ज़ियारत
اَلسَّلاَمُ عَلَیْکُمْ یَا خُزَّانَ عِلْمِ اللّهِ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکُمْ یَا تَرَاجِمَۃَ وَحْیِ اللّهِ، اَلسَّلاَمُ अस्सलामो अलैकुम या ख़ुज़्ज़ाना इल्मिल्लाहे, अस्सलामो अलैकुम या तराजेमता वहयिल्लाहे, अस्सलामो
सलाम हो आप पर जो इल्मे इलाही के खजाने दार है, सलाम हो आप पर जो वही इलाही के तरजुमान है, आप पर
عَلَیْکُمْ یَا ٲَئِمَّۃَ الْھُدَی، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکُمْ یَا ٲَعْلامَ التُّقی، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکُمْ یَا ٲَوْلادَ अलैकुम या आइम्मतिल हुदा, अस्सलामो अलैकुम या आलामुत्तुक़ा, अस्सलामो अलैकुम या औलादा
सलाम हो जो हिदायत देने वाले इमाम है आप पर सलाम हो जो तक़वे निशान है आप पर सलाम हो जो रसूले ख़ुदा (स) के
رَسُولِ اللّهِ ٲَنَا عَارِفٌ بِحَقِّکُمْ مُسْتَبْصِرٌ بِشَٲْنِکُمْ مُعادٍ لاََِعْدائِکُمْ مُوَالٍ لاََِوْ لِیَائِکُمْ रसूलिल्लाहे अना आरेफ़ुन बेहक़्क़ेकुम मुस्तबसेरुन बेशानेकुम मुआदिन लेआदाएकुम मुवालिन लेओलेयाएकुम
फ़रज़ंद है मै आपके हक़ को जानता हूं आपकी शान को समझता हूं आपके दुश्मनो का दुश्मन हूं आपके दोस्तो का दोस्त हूं
بِٲَبِی ٲَنْتُمْ وَٲُمِّی صَلَواتُ اللّهِ عَلَیْکُمْ اَللّٰھُمَّ إنِّی ٲَتَوالی آخِرَھُمْ کَمَا تَوالَیْتُ ٲَوَّلَھُمْ बेअबि अंतुम व उम्मी सल्वातुल्लाहे अलैकुम अल्लाहुम्मा इन्नी अतावाली आख़ेराहुम कमा तवालैयतो अव्वालाहुम
मेरे मां बाप आप पर क़ुरबान आप पर खुदा की रहमते हो, हे माबूद मै उनके आख़िर से ऐसी मोहब्बत रखता हूं जैसी उनके अव्वल
وَٲَبْرَٲُ مِنْ کُلِّ وَلِیجَۃٍ دُونَھُمْ، وَٲَکْفُرُ بِالْجِبْتِ وَالطَّاغُوتِ وَاللاَّتِ وَالْعُزَّی वअबरओ मिन कुल्ले वलीजतिन दूनाहुम, वअकफ़ोरो बिल जिब्ते वत्ताग़ूते वल्लाते वल उज़्ज़ा
से है और उनके मुक़ाबिल प्रत्येक समूह से दूर हूं और जादूगर ताग़ूत और लातो व उज़ा का इंकार करता हूं
صَلَوَاتُ اللّهِ عَلَیْکُمْ یَا مَوالِیَّ وَرَحْمَۃُ اللّهِ وَبَرَکاتُہُ ۔ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا سَیِّدَ सलवातुल्लाहे अलैकुम या मवालिय्या वा रहमतुल्लाहे वबराकातोह, अस्सलामो अलैका या सय्यदल
हे मेरे सरदार आप पर ख़ुदा की रहमत और बरकत हो आप पर सलाम हो ऐ आबिदो
الْعَابِدِینَ وَسُلالَۃَ الْوَصِیِّینَ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا بَاقِرَ عِلْمِ النَّبِیِّینَ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ आबेदीना वसुलालतल वसीयीसीना, अस्सलामो अलैका या बाकेरा इल्मिन नबीईना, अस्सलामो अलैका
के सरदार और वसीदो की अस्ल आप पर सलाम हो हे अबिंया के इल्म को ज़ाहिर करने वाले आप पर सलाम हो
یَا صَادِقاً مُصَدَّقاً فِی الْقَوْلِ وَالْفِعْلِ یَا مَوالِیَّ ہذَا یَوْمُکُمْ وَھُوَ یَوْمُ الثُّلاثَائِ وَٲَنَا या सादेक़न मुसद्देक़न फ़िल कौले वल फेले या मवालिय्या बेजा यौमोकुम वा होवा यौमुस्सलासाए वा अना
हे वो सादिक जिसकी पुष्टि उसकी कथनी और करनी मे की गई। हे मेरे तीनी सरदारो यह मगंल वाला दिन आपका दिन है और मै
فِیہِ ضَیْفٌ لَکُمْ وَمُسْتَجِیرٌ بِکُمْ، فَٲَضِیفُونِی وَٲَجِیرُونِی بِمَنْزِلَۃِ اللّهِ عِنْدَکُمْ وَآلِ फीहे ज़ैफ़ुन लकुम व मुस्तजतीरो बेकुम, फ़अज़ीफ़ूनी वअज़ीरूनी बेमंज़िलतिल्लाहे इन्दकुम वा आले
इसमे आपका मेहमान हूं और आपकी शरण मे हूं अतः आप मेरी मेहमान नवाज़ी कीजिए और मुझे शरण दीजिए खुदा के उस स्थान के वास्ते जो
بَیْتِکُمُ الطَّیِّبِینَ الطَّاھِرِین۔ बैतेकुमत तय्येबीनत ताहेरीना।
आपके नजदीक है और अपने पाको पाकीज़ा परिवार के वास्ते से।
الـّلـهـم صـَل ِّعـَلـَی مـُحـَمـَّدٍ وَآلِ مـُحـَمـَّدٍ وَعـَجــِّل ْ فــَرَجـَهـُم अल्लाहुम्मा सल्ले अला मोहुम्मदिन वा आले मुहम्मदिन वअज्जिल फ़राजहुम
 
             
                 
                                        
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