गुरुवार 22 मई 2025 - 13:27
शहीद आयतुल्लाह रईसी की लोकप्रियता का राज़!

हौज़ा / इस्लामी गणराज्य ईरान के पूर्व राष्ट्रपति आयतुल्लाह शहीद सैयद इब्राहीम रईसी की लोकप्रियता और जनप्रियता की कुछ प्रमुख विशेषताएँ थीं,जिहाद का जुनून,न्यायप्रियता, जनता के प्रति अपनापन और प्रेम,भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर रुख,कार्य में ईमानदारी और निष्ठा,समस्याओं के सामने हार न मानना,एक साथ व्यवहार में लचीलापन और गरिमा की रक्षा, और अधीनस्थ अधिकारियों की सतर्क निगरानी थी।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस्लामी गणराज्य ईरान के पूर्व राष्ट्रपति आयतुल्लाह शहीद सैयद इब्राहीम रईसी की शहादत को एक साल बीत चुका है, और उनकी बरसी के अवसर पर ईरान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है।

इस्लामी गणराज्य ईरान के पूर्व राष्ट्रपति आयतुल्लाह शहीद सैयद इब्राहीम रईसी की लोकप्रियता और जनप्रियता की कुछ प्रमुख विशेषताएँ थीं,जिहाद का जुनून,न्यायप्रियता, जनता के प्रति अपनापन और प्रेम,भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर रुख,कार्य में ईमानदारी और निष्ठा,समस्याओं के सामने हार न मानना,एक साथ व्यवहार में लचीलापन और गरिमा की रक्षा,और अधीनस्थ अधिकारियों की सतर्क निगरानी थी।

शहीद मुर्तज़ा मुत्तहरी रह. के दृष्टिकोण से किसी भी विचारधारा की "जहाँ-बिनी" यानी दृष्टिकोण उस विचारधारा की बौद्धिक नींव होती है। यही दृष्टिकोण यह तय करता है कि व्यक्ति के उद्देश्य, प्राथमिकताएँ, सामाजिक संबंध, नाजुक हालात में उसके निर्णय, नैतिक और जिम्मेदार व्यवहार तथा जीवन-शैली कैसी होगी।

इस्लामी क्रांति का नारा एक सार्वभौमिक और प्राकृतिक नारा है, जो कभी पुराना नहीं होता। इस्लामी क्रांति का 40 वर्षों से अधिक का अनुभव दिखाता है कि यदि कोई व्यक्ति, किसी भी पद पर रहते हुए, इन नारों को दिल से अपनाता है और अंदरूनी-बाहरी दबावों की परवाह किए बिना इन पर अमल करता है, तो वह न केवल अपने देश में बल्कि दुनिया भर के स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वालों के बीच लोकप्रिय और आदरणीय बन जाता है।

जहाँ बिनी की दो प्रकारें होती हैं:ईश्वरीय दृष्टिकोण,भौतिकवादी दृष्टिकोण,ईश्वरीय दृष्टिकोण एक तौहीदी विचारधारा है, जो तर्क पर आधारित होती है। यह दृष्टिकोण व्यक्ति के व्यक्तिगत, धार्मिक और सामाजिक जीवन को आकार देता है, जिससे उसमें जिहाद, न्याय, जनसेवा, ईमानदारी, मज़लूमों की मदद, वंचितों की देखभाल, और धैर्य जैसे गुण उत्पन्न होते हैं।

चूंकि इस दृष्टिकोण की नींव खुदा की ओर होती है, इसलिए इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति में सभी प्रशंसनीय गुण स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं और वह लोगों के दिलों में बस जाता है।

शहीद रईसी की शख्सियत को इन्हीं दो मूल पहलुओं के आधार पर समझा जा सकता है:उनका दृष्टिकोण ईश्वरीय था,उनका सोचने और अमल करने का तरीका भी इसी से प्रेरित था।

इस्लामी क्रांति ने तौहीदी दृष्टिकोण के माध्यम से दुनियावी दृष्टिकोण पर जीत हासिल की। इसलिए इस्लामी गणराज्य ईरान के हर सच्चे सेवक ने इन्हीं नारों को अपने कार्य का केंद्र बनाया। ऐसे लोग ही दुनियाभर के मजलूमों और स्वतंत्रता-प्रेमियों की उम्मीद बनते हैं और दिलों के चहेते हो जाते हैं।

शहीद आयतुल्लाह रईसी भी इन्हीं विशेषताओं के मालिक थे। इसके उलट, ईरान में कई ऐसे राजनेता भी हुए जिन्होंने या तो शुरुआत से ही या बीच रास्ते में इस तौहीदी दृष्टिकोण को छोड़ दिया या क्रांति के मूल नारों से पीछे हट गए, और नतीजा यह हुआ कि वे जनता से दूर हो गए और अंततः गुमनामी और नाकामी का शिकार हुए।

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