रविवार 17 अगस्त 2025 - 00:01
ग़ाज़ा का समाधान मुसलमानों की ज़िम्मेदारी है

हौज़ा / हौज़ा इल्मिया के धर्मगुरु हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अलीपनाह ने ज़ायोनिस्ट शासन द्वारा ग़ाज़ा के लोगों के निरंतर नरसंहार की ओर इशारा करते हुए कहा,ग़ाज़ा का मसला हल करना सभी मुसलमानों की ज़िम्मेदारी है। अगर इस मामले में कोई भी कोताही बरती गई, तो यह अपराधी दुश्मन इस्लामी देशों पर और अधिक हमलों के लिए प्रोत्साहित होगा।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हौज़ा इल्मिया के धर्मगुरु हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अलीपनाह ने ज़ायोनिस्ट शासन द्वारा ग़ाज़ा के लोगों के निरंतर नरसंहार की ओर इशारा करते हुए कहा,ग़ाज़ा का मसला हल करना सभी मुसलमानों की ज़िम्मेदारी है।अगर इस मामले में कोई भी कोताही बरती गई, तो यह अपराधी दुश्मन इस्लामी देशों पर और अधिक हमलों के लिए प्रोत्साहित होगा।

हुज्जतुल इस्लाम अलीपनाह ने हौज़ा न्यूज़ से बातचीत में कहा कि मध्य पूर्व और इस्लामी उम्मत के खिलाफ दुश्मनों की साज़िशों का विरोध इस्लामी देशों के शासकों द्वारा और अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

कुछ नेताओं की निष्क्रियता और कुछ अन्य की अस्पष्ट नीति ने ज़ायोनिस्ट शासन को मुस्लिम हितों पर हमला करने का साहस दिया है।यह निष्क्रियता अब सक्रिय प्रतिरोध में बदलनी चाहिए और नरसंहारक नेतन्याहू के खिलाफ ठोस कदम उठाने होंगे।

उन्होंने आगे कहा, ग़ाज़ा के लोगों का लगातार नरसंहार हो रहा है और इसका समाधान सभी मुसलमानों की ज़िम्मेदारी है। अगर इसमें लापरवाही हुई तो यह क्रूर दुश्मन अन्य इस्लामी देशों पर अपने हमले और बढ़ा देगा।अंतरराष्ट्रीय ज़ायोनिज़्म ने स्वतंत्रता-प्रिय और प्रतिरोध करने वाले देशों के संसाधनों को लूटने की एक जटिल योजना बनाई है, इसलिए हमें सजग रहना होगा।

हुज्जतुल इस्लाम ने नेतन्याहू द्वारा "ग्रेटर इज़राइल" की योजना पर दी गई बेशर्म टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा,दो साल पहले तक ज़ायोनिस्ट नेता ऐसा कुछ कहने का साहस नहीं रखते थे, लेकिन अब जब दो साल से वे नरसंहार कर रहे हैं और इस्लामी देशों की ओर से कोई ठोस सज़ा नहीं मिली, तो वे अपनी घिनौनी योजनाओं को उजागर करने लगे हैं।हालांकि, अगर हामास, हिज़्बुल्लाह, यमन के हूती और ईरान व मुस्लिम जनता का समर्थन न होता, तो ग़ाज़ा की स्थिति और भी भयानक होती।

उन्होंने कहा, हिज़्बुल्लाह के महासचिव द्वारा इस संगठन के निरस्त्रीकरण के विरोध में लिए गए ठोस रुख से यह स्पष्ट है कि प्रतिरोध की धुरी एकजुट होकर अमेरिका की इन साज़िशों का विरोध कर रही है।अगर इस्लामी देशों के नेता सक्रिय रूप से सहयोग करें, तो ज़ायोनिस्ट दुश्मन को कड़ा जवाब दिया जा सकता है।

आखिर में उन्होंने कहा,अरबईन की पैदल यात्रा में विभिन्न इस्लामी फ़िरकों और धर्मों के अनुयायियों की एकता का परिणाम यह होना चाहिए कि हम ज़ायोनिस्ट शासन के अपराधों की कड़ी निंदा करें और इस नरसंहारक शासन के ख़ात्मे के लिए ठोस क़दम उठाएं।हर एक क़दम पीछे हटना दुश्मन को और हिंसक बनाएगा।

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