हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, अंसारुल्लाह यमन के राजनीतिक कार्यालय ने दक्षिणी लेबनान की आज़ादी की 25वीं सालगिरह के मौके पर जारी एक बयान में कहा,25 मई 2000 को इज़रायली ताक़तों की शर्मनाक हार और उनके दक्षिणी लेबनान से बाहर निकाले जाने का ऐतिहासिक दृश्य देखा गया।
यह दिन इस्लामी प्रतिरोध (मुक़ावमत) की वह जीत है जो ज़ायोनी दुश्मन के मुक़ाबले में अरब और इस्लामी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बदलाव साबित हुई।
बयान में आगे कहा गया,हिज़्बुल्लाह के मुजाहिदीनों की इस जीत ने अरब और इस्लामी उम्मत को दोबारा आत्मविश्वास दिया और अपनी क्षमताओं पर विश्वास को और मज़बूत किया। इसी तरह 2006 में दुश्मन पर हिज़्बुल्लाह की विजय ने ज़ायोनी क़ब्ज़ा जमाने वाली सत्ता से मुक़ाबले के लिए नए समीकरण और सिद्धांत स्थापित किए।
अंसारुल्लाह यमन ने एलान किया,हम एक बार फिर हिज़्बुल्लाह और इस्लामी प्रतिरोध के साथ अपनी वफ़ादारी की पुष्टि करते हैं और शहीदों, विशेष रूप से इस्लाम और इंसानियत के शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह के रास्ते पर चलने के अपने संकल्प को दोहराते हैं।
हम लेबनान और इस्लामी प्रतिरोध के साथ अपनी पूरी एकजुटता का इज़हार करते हैं और लेबनान की भूमि और संप्रभुता पर ज़ायोनी हमलों और आक्रामक कार्रवाइयों की कड़ी निंदा करते हैं।
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