रविवार 1 जून 2025 - 17:27
मुक़ावमत के हथियार और दूसरे मुद्दों का हल दबाव या धमकी से मुमकिन नहींः शेख़ अली यासीन

हौज़ा / लेबनान के शहर सूर में उलमा की अंजुमन के सदर हुज्जतुल इस्लाम शेख़ अली यासीन ने मस्जिद ए मदरसा अद दीनिया" में ख़िताब करते हुए कहा कि मुल्क के कुछ सियासी रहनुमाओं के हालिया बयानों की हैसियत ऐसी है जैसे किसी ने वतन की पीठ में खंजर घोंप दिया हो।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, लेबनान के शहर सूर में उलमा की अंजुमन के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम शेख अली यासीन ने मस्जिद अल-मदरसह अद-दीनिया में एक तक़रीर के दौरान कहा कि देश के कुछ सियासी रहनुमाओं के हालिया बयान दरअसल वतन की पीठ में खंजर घोंपने के बराबर हैं।

उन्होंने कहा कि ये बयान न केवल राष्ट्रीय एकता के लिए ख़तरा हैं, बल्कि मुक़ावमत के हथियार जैसे नाज़ुक मसलों से निपटने के गंभीर उसूलों की भी सरेआम ख़िलाफ़वर्जी हैं।

शेख यासीन ने वाज़ेह किया कि मुक़ावमत के हथियार की वैधता (मशरू'इयत) उन लोगों के ज़रिए तय नहीं हो सकती जिनका अतीत फसाद, तफ़रक़ा और दहशतगर्दी से भरा हुआ है। यह वैधता उन शहीदों के खून से साबित होती है जिन्होंने वतन की हिफ़ाज़त में अपनी जान कुर्बान कर दी।

उन्होंने याद दिलाया कि जब हुकूमत इसराईली और तकफ़ीरी हमलों के सामने बेबस नज़र आई, तब इसी क़ौम के बहादुर जवानों ने मैदान संभाला और लेबनान की आज़ादी व ख़ुदमुख़्तारी का मुस्तहकम दिफ़ा किया।

शेख यासीन ने अफ़सोस जताते हुए कहा कि आज भी कुछ अनासिर ऐसे हैं जो लेबनानी फ़ौज को हथियार देने में रुकावट बने हुए हैं ताकि इसराईल और ड्रग माफियाओं के ख़िलाफ़ प्रभावी मुक़ावमत न की जा सके।

उन्होंने दक्षिणी लेबनान की अवाम को सलाम पेश किया, जिन्होंने इंतिख़ाबात के दिन को मुक़ावमत से वफ़ादारी का दिन बना दिया और इत्तेहाद (एकता) और इस्तेक़ामत (दृढ़ता) का बेहतरीन मुज़ाहिरा किया।

शेख यासीन ने इसे एक साफ़ पैग़ाम क़रार दिया कि मुक़ावमत बाक़ी रहेगी, क्योंकि यह एक बाशऊर, आज़ाद और शरीफ़ क़ौम से जुड़ी हुई है।

आख़िर में उन्होंने दुनिया भर की आवामी तहरीकों (जन आंदोलनों) से अपील की कि वे फ़िलस्तीनी क़ौम की हिमायत में दोबारा मैदान में उतरें।

उन्होंने कहा,दुनिया क़रीब एक दशक से फ़िलस्तीनियों की नस्लकुशी को नज़रअंदाज़ कर रही है। मासूम बच्चों को ज़िंदा जलाया जा रहा है और उन्हें भूख से मरने पर मजबूर किया जा रहा है ये इंसानियत के माथे पर एक सबसे बड़ा कलंक है।

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