हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , फ्रांस की कुल आबादी का लगभग 9% हिस्सा मुस्लिम है, जो पश्चिमी यूरोप में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी मानी जाती है। इसके बावजूद, दुर्भाग्य से फ्रांस में सरकारी रवैया लगातार इस्लाम विरोधी और मुसलमानों के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देने का कारण बन रहा है फ्रांस में ऐसे कदम बार-बार देखने को मिले हैं जिन्होंने नस्लवाद और इस्लामोफोबिया को बढ़ावा दिया है।
दूसरी ओर, हाल के महीनों में सार्वजनिक स्तर पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं, जिनका उद्देश्य हर प्रकार के नस्लवाद और इस्लाम विरोध की निंदा करना है। इन प्रदर्शनों में और तीव्रता तब आ गई जब अप्रैल के अंत में फ्रांस के दक्षिणी क्षेत्र में एक 20 वर्षीय मुस्लिम युवक को मस्जिद के अंदर छुरे से बेरहमी से मार दिया गया।
हत्यारे ने इस बर्बर अपराध के दौरान नस्लवादी टिप्पणियां कीं और इस घृणित कृत्य की वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दी, जिसने पूरे फ्रांस में दुख और क्रोध की लहर दौड़ा दी।
फ्रांसीसी समाज के प्रभावशाली वर्गों और मानवाधिकार संगठनों ने इस स्थिति पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फ्रांसीसी सरकार से मांग की है कि मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और इस्लामोफोबिया को रोकने के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाए जाएं।
प्रदर्शनकारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि फ्रांस में मौजूदा हालात न केवल मुसलमानों के लिए खतरनाक हैं, बल्कि पूरे समाज की शांति और सद्भाव के लिए भी एक गंभीर खतरा बन गया हैं।
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