हौज़ा न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट अनुसार , स्विट्जरलैंड में नकाब पर प्रतिबंध को लेकर रविवार को एक जनमत संग्रह आयोजित किया गया। जनमत संग्रह में, लोगों ने सार्वजनिक स्थलो पर हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के लिए मतदान किया। समाचार रिपोर्ट के अनुसार, अब तक के परिणाम मे 50% से अधिक लोगों ने प्रतिबंध के पक्ष में मतदान किया है।
स्विट्ज़रलैंड के लोगों ने मकानो, सड़कों, रेस्टोरेंटो पर अपने चेहरे को पूरी तरह ढ़कने पर प्रतिबंध के पक्ष में भारी मतदान किया। इस दौरान, धार्मिक स्थलों में नकाब पर प्रतिबंधित नहीं होगा।
देश में सार्वजनिक रूप से हिजाब पहनने की आजादी होनी चाहिए या नहीं, इस पर जनमत संग्रह कराने का निर्णय लिया गया। जिस पर स्विट्जरलैंड के लोगों ने 7 मार्च को मतदान किया था। उसी समय, देश की लोकतांत्रिक में कुछ बदलावों पर एक जनमत संग्रह आयोजित किया गया। जनमत संग्रह के दौरान इन सभी मुद्दों पर मतदान हुआ था।
इस मामले में, स्विट्जरलैंड के मुसलमानों का कहना है कि कुछ पार्टियां मुसलमानों को मतदाताओं को रिझाने के लिए दुश्मन के रूप में पेश कर रही हैं। मुसलमानों का कहना है कि इस तरह के प्रतिबंध से भेदभाव बढ़ेगा।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि फ्रांस ने 2011 में पूरे चेहरे को ढ़कने वाले कपड़े पर प्रतिबंध लगाया गया। डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड और बुल्गारिया मे भी सार्वजनिक रूप से निकाब पर प्रतिबंध लगा हैं।
एक अनुमान के अनुसार स्विटज़रलैंड में 30 प्रतिशत महिलाएं नकाब पहनती हैं, 5.2 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, और देश में कुल मुस्लिम आबादी लगभग 8.6 लाख है।
उल्लेखनीय है कि जिन देशों में जहां भी नकाब लगाना प्रतिबंधित किया गया है, मुस्लिम और मानवाधिकार समूहों ने जोरदार प्रदर्शन किया है क्योंकि इस तरह के प्रतिबंध से भेदभाव बढ़ता है। लोगों का कहना है कि प्रतिबंध भेदभाव पूर्ण है और इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए।