सोमवार 14 जुलाई 2025 - 11:37
क़ैद या तख़्तो-ताज?

हौज़ा / आयतुल्लाह बहजत (र) ने कहा है कि हज़रत ज़ैनब (स) ने इमाम हुसैन (अ) की शहादत के बाद क़ैद में भी इतनी बहादुरी से ख़ुतबा दिया, जैसे वो तख़्तो ताज (राजगद्दी) पर बैठी हों। और इमाम सज्जाद (अ) ने, गर्दन में ज़ंजीर होने के बावजूद, ज़रूरतमंदों की मदद ऐसे की जैसे कोई बादशाह करता है। वे इस बात पर अफ़सोस जताते हैं कि हम इन महान हस्तियों और बेहतरीन आदर्शों की तरफ़ ध्यान नहीं देते और उन्हें भूल जाते हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हज़रत ज़ैनब (स) ने इमाम हुसैन (अ) की शहादत के बाद क़ैद में भी इतनी बहादुरी से ख़ुतबा दिया, जैसे वो तख़्तो ताज (राजगद्दी) पर बैठी हों। और इमाम सज्जाद (अ) ने, गर्दन में ज़ंजीर होने के बावजूद, ज़रूरतमंदों की मदद ऐसे की जैसे कोई बादशाह करता है। 

आयतुल्लाह बहजत (र) ने कहा:

हज़रत हुसैन बिन अली, सय्यद उश-शोहदा (अ) की शहादत के बाद, हज़रत ज़ैनब (स) ने क़ैद में इतनी बहादुरी से ख़ुतबा दिया जैसे कि वे किसी राजगद्दी पर बैठी हों।

इमाम सज्जाद (अ) भी क़ैद में थे और उनके गले में ज़ंजीर लगी थी, फिर भी वे ज़रूरतमंदों की मदद ऐसे करते थे जैसे कोई बादशाह करता है। हमारे पास ऐसे महान लोग हैं जिनसे हमारी सारी चीज़ें जुड़ी हैं, लेकिन फिर भी ऐसा लगता है कि वे हमारे पास नहीं हैं!

स्रोत: रहमत वासेआ, पेज १३३

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