हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, सुश्री ज़हरा इब्राहिमी ने अरबाईन और ग़ज़्ज़ा के मुद्दे पर अपने एक लेख में लिखा:
हालाँकि हम ख़ुद ज़ायर नहीं हैं,
लेकिन ऐ अरबाईन के मुसाफ़िरों!
अगर आप अपनी ज़ियारत पूरी करना चाहते हैं,
तो अपनी अरबाईन को ग़ज़्ज़ा से जोड़िए।
पूरी ताक़त से ग़ज़्ज़ा को पुकारिए!
अपने पैरों से!
अपने कंधों पर ढोए हुए थैले से!
अपनी दुआओं से
और अपनी मन्नतों से!
अपनी आँखों के आँसुओं से और
अपने पैरों के छालों से!
फ़िलिस्तीन को बचाने वाली चीज़
वैश्विक जागृति है!
और दुनिया को जगाने वाली चीज़
अरबईन का ज़ायक है!
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