हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों द्वारा फ़िलिस्तीन को एक संप्रभु राज्य के रूप में मान्यता देने के फ़ैसले के बाद, अन्य पश्चिमी देशों ने भी इसी तरह के कदम उठाए हैं, जिससे इज़राइल और उसके सहयोगी अमेरिका नाराज़ हैं। इस फ़ैसले ने एक बार फिर ग़ज्ज़ा में विनाशकारी युद्ध को समाप्त करने के कूटनीतिक प्रयासों के केंद्र में द्वि-राज्य समाधान को ला दिया है। पिछले हफ़्ते इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को लिखे एक पत्र में, राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा: "फ़िलिस्तीनी लोगों को अपना राज्य देने का हमारा दृढ़ संकल्प इस विश्वास पर आधारित है कि इज़राइल की सुरक्षा के लिए स्थायी शांति आवश्यक है।" मैक्रों ने आगे कहा: "फ्रांस के कूटनीतिक प्रयास ग़ज़्ज़ा में व्याप्त भयानक मानवीय संकट पर हमारे गुस्से का परिणाम हैं, जिसे उचित नहीं ठहराया जा सकता।"
न्यूज़ीलैंड, फ़िनलैंड और पुर्तगाल सहित कुछ अन्य देश भी इसी तरह के कदम पर विचार कर रहे हैं। नेतन्याहू ने फ़िलिस्तीनी राज्य का दर्जा अस्वीकार कर दिया है और ग़ज़्ज़ा में सैन्य अभियान को और तेज़ करने की योजना बना रहा हैं। इज़राइल और अमेरिका का कहना है कि फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने से चरमपंथियों का हौसला बढ़ेगा। गौरतलब है कि ग़ज़्ज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 7 अक्टूबर, 2023 को इज़राइल पर हमास के नेतृत्व वाले हमले के साथ शुरू हुए युद्ध में अब तक 63,000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। फ़्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और माल्टा ने घोषणा की है कि वे 23 सितंबर से शुरू होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र के दौरान फ़िलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने की अपनी प्रतिबद्धता को औपचारिक रूप देंगे।
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