गुरुवार 2 अक्तूबर 2025 - 19:51
क़ुम अलमुकद्देसा में ईरानी पार्लियामेंट के स्पीकर की मराजय ए इकराम से मुलाकात विभिन्न मुद्दों पर चर्चा

हौज़ा / इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान की मजलिस-ए-शूरा-ए-इस्लामी के अध्यक्ष मोहम्मद बाकिर क़ालीबाफ ने अपनी यात्रा के दौरान पवित्र शहर क़ुम का दौरा किया और हज़रत फातिमा मासूमा स.ल. के हरम की ज़ियारत की तथा वरिष्ठ धार्मिक नेताओं मराजय ए इकराम से मुलाक़ातें कीं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान की मजलिस-ए-शूरा-ए-इस्लामी के अध्यक्ष मोहम्मद बाकिर क़ालीबाफ ने अपनी यात्रा के दौरान पवित्र शहर क़ुम का दौरा किया और हज़रत फातिमा मासूमा स.ल. के हरम की ज़ियारत की तथा वरिष्ठ धार्मिक नेताओं मराजय ए इकराम से मुलाक़ातें कीं।

क़ालीबाफ ने इस अवसर पर आयतुल्लाहिल उज़मा शुबैरी जंजानी, आयतुल्लाहिल उज़मा मकारिम शीराजी, आयतुल्लाहिल उज़मा जाफर सुभानी और आयतुल्लाहिल उज़मा जवादी आमोली से अलग-अलग मुलाकात की और देश एवं धर्म के मामलों पर विचार-विमर्श किया। वह आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली सिस्तानी की पत्नी के निधन पर आयोजित शोक सभा में भी शामिल हुए।

अपने दौरे के दौरान आयतुल्लाहिल उज़मा जवादी आमली से मुलाकात में महान व्यक्तित् ने इमाम हसन अलअस्करी (अलैहिस्सलाम) के जन्मदिन की बधाई देते हुए कहा कि ईरानी राष्ट्र की सबसे बड़ी नेमत अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम से वाबस्तगी है।

उन्होंने कहा,हम अली अलैहिस्सलाम और औलाद-ए-अली अलैहिमुस्सलाम के पैरोकार हैं, जबकि दुनिया के दूसरे लोग इस नेमत से महरूम हैं। हालांकि, अगर समाज से फसाद (भ्रष्टाचार), इख्तिलास और बद-ए-इंतिज़ामी  खत्म नहीं किया गया, तो दूसरे समाज हमसे आगे निकल जाएंगे।

उन्होंने जोर देकर कहा कि देश की इस्लाह तभी संभव है जब सक्षम और सालेह (योग्य) लोगों को ज़िम्मेदारियाँ दी जाएँ। "देश की पाकीज़गी (पवित्रता) का राज़ हाकिमों (शासकों) और मुंतज़िमीन की तहारत (पवित्रता) में है।

आयतुल्लाहिल उज़मा जवादी आमोली ने ईरान के प्राकृतिक संसाधनों का ज़िक्र करते हुए कहा, हमारा देश खुदाई नेमतों से मालामाल है। उत्तरी ईरान के जंगलात, माज़ंदरान की सरसब्ज वादियाँ और दमावंद की बुलंद चोटियों को देखकर यह कहना कि बिजली और ऊर्जा के मसले हल नहीं हो सकते, दुरुस्त नहीं है।

बार-बार ज़िम्मेदारों से कहा गया है कि उत्तरी पानी को बर्बाद होने से रोकें और डैम बनाएँ। जब अवाम को यक़ीन होगा कि मंसूबों (परियोजनाओं) के फ़ायदे उन्हीं को मिलेंगे, तो वह उसी तरह मैदान में आएंगे जैसे आमोल के हज़ार सेंगर वाक़े में आए थे।

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