मंगलवार 25 नवंबर 2025 - 11:57
किताब "तारीखे फंदेड़ी सादात" के मौअल्लिफ़ काबिले तबरीक़ व मुबारकबाद

हौज़ा / मौलाना रज़ी हैदर फंदेड़वी ने यह किताब फ़ारसी में लिखी, जो उनकी ज़बरदस्त पढ़ाई-लिखाई की काबिलियत और भाषा पर उनकी महारत का साफ़ सबूत है। अपनी मातृभाषा में लिखना आसान है, लेकिन दूसरी भाषा में अच्छी और रिसर्च वाली किताब लिखना उनकी काबिलियत को दिखाता है।

लेखक: मौलाना ज़ीशान हैदर रजैटवी

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, मैं मौलाना सैयद रज़ी हैदर फंदेड़वी, मौलिफ़ किताब "तारीखे फंदेड़ी सादात" को इस अज़ीम उश्शान किताब के मंज़र-ए-आम पर आने और नुमायंदे वली-ए- फ़क़ीह आग़ा अब्दुलमजीद हकीम इलाही साहब और दीगर मुअज़्ज़ज़ औलमा-ए-किराम के मुबारक हाथों से इसकी रस्म-ए-इजरा होने पर सदीक़-ए-क़ल्ब से हदया-ए-तबरीक़ व तहनियत पेश करता हूँ।

इसी के साथ मैं फंदेड़ी सादात के तमाम बाशिंदगान और वेलफेयर कमेटी को भी इस इल्मी, तारीखी और रूहानी सरमाये के हुसूल और रसमे इजरा पर दिली मुबारकबाद पेश करता हूँ।

मौलाना रज़ी हैदर फंदेड़वी ने इस किताब को फ़ारसी ज़बान में तहरीर किया, जो उनकी ग़ैर-मामूली इल्मी महारत और ज़बान पर उबूर की वाज़ेह दलील है। अपनी मादरी ज़बान में लिखना आसान होता है, मगर किसी दूसरी ज़बान में मेयारी और तहक़ीक़ी किताब तसनीफ़ करना उनकी बलंद पाया सलाहियतों को उजागर करता है।

मैं मौसूफ़ को ज़ाती तौर पर ख़ूब पहचानता हूँ। उन्होंने उर्दू और फ़ारसी दोनों ज़बानों में मुताअद्दिद इल्मी व दीनी किताबें तहरीर की हैं। उनकी इल्मी और फ़िक़्ही मौज़ुआत पर मजबूत तहरीरें उनके गहरे मुतालए, पुख़्ता फ़िक्र और मुसतहकम क़लम की गवाह हैं।

मौलाना सैयद रज़ी का इतनी कम उम्री में, मस्रूफ़ियात के बावजूद, क़लम से अपना रिश्ता मजबूत रखना अहल-ए-फंदेड़ी के लिए बाइस-ए-इम्तियाज़ भी है और बाइस-ए-फख़्र भी।

मेरी दुआ है कि रब्बे करीम मौलाना को सलामत रखे, उनके इल्म व क़लम में और बरकतें व वुसअतें अता फ़रमाए।

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