बुधवार 8 अक्तूबर 2025 - 19:26
ग़ज़्ज़ा नरसंहार के 2 साल: पढ़िए बेंजामिन नेतन्याहू के 9 झूठ और उनका सच

हौज़ा/ ग़ज़्ज़ा पर इजरायली आक्रमण के 2 साल पूरे हो चुके हैं। 7 अक्टूबर 2023 से लेकर आज तक इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ग़ज़्ज़ा पर हमले जारी रखने और "वैश्विक सहानुभूति" हासिल करने के लिए कई झूठ बोले हैं। वैश्विक मीडिया, इजरायली मीडिया और सोशल मीडिया एल्गोरिदम के जरिए इजरायल अपने झूठ को "सच" साबित करने के लिए बड़े पैमाने पर विज्ञापन अभियान चला रहा है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, ग़ज़्ज़ा पर इजरायली आक्रमण के 2 साल पूरे हो चुके हैं। 7 अक्टूबर 2023 से लेकर आज तक इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ग़ज़्ज़ा पर हमले जारी रखने और "वैश्विक सहानुभूति" हासिल करने के लिए कई झूठ बोले हैं। वैश्विक मीडिया, इजरायली मीडिया और सोशल मीडिया एल्गोरिदम के जरिए इजरायल अपने झूठ को "सच" साबित करने के लिए बड़े पैमाने पर विज्ञापन अभियान चला रहा है, लेकिन इस दौरान वैश्विक संस्थाओं, मीडिया और मानवाधिकार संगठनों ने इन झूठ का पर्दाफाश किया है। जानिए नेतन्याहू के 9 बड़े झूठ के बारे में:

झूठ नंबर एक:
हमास ने 40 इजरायली बच्चों के सिर कलम किए।
हक़ीक़त:
किसी भी बच्चे के सिर कलम होने का कोई सबूत या तस्वीर कभी पेश नहीं की गई। यह झूठ इजरायली सेना और मीडिया के जरिए फैलाया गया, बाद में खुद इजरायली अधिकारियों ने स्वीकार किया कि यह प्रचार था।

झूठ नंबर 2:
हमास ने 7 अक्टूबर को सामूहिक बलात्कार और यौन हिंसा की।
हक़ीक़त:
इजरायली स्वयंसेवी संगठन ZAKA के एक सदस्य ने बाद में स्वीकार किया कि उसके दावे के कोई सबूत नहीं थे। इसके विपरीत, इजरायली सैनिकों के हाथों फिलीस्तीनी कैदियों के साथ यौन हिंसा के सबूत मौजूद हैं।

झूठ नंबर 3:
हमास फ़िलीस्तीनी नागरिकों को मानवीय ढाल के तौर पर इस्तेमाल करता है।
हक़ीक़त:
इस आरोप के कोई सबूत नहीं हैं। अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षकों और डॉक्टरों ने बताया कि अस्पतालों या नागरिक इलाकों में हमास की सैन्य उपस्थिति नहीं थी। इसके विपरीत, इजरायली सेना खुद फ़िलीस्तीनियों को मानवीय ढाल बनाती रही है।

झूठ नंबर 4:
हमास इंसानी सहायता चुराता है।
हक़ीक़त:
अमेरिकी एजेंसी USAID और खुद इजरायली सेना ने स्वीकार किया कि हमास द्वारा इंसानी सहायता चुराने का कोई सबूत नहीं है। बाद में नेतन्याहू ने स्वीकार किया कि सहायता वास्तव में आपराधिक गिरोहों द्वारा लूटी जा रही थी।

झूठ नंबर 5:
फ़िलीस्तीनी पत्रकार हमास के लिए काम करते हैं।
हक़ीक़त:
अल-जज़ीरा और अन्य मीडिया संस्थानों ने इन आरोपों का खंडन किया। इजरायल ने बाद में उन्हीं पत्रकारों को मार डाला। रॉयटर्स ने भी साबित किया कि जिन कैमरों को इजरायल ने निशाना बनाया, वे हमास के नहीं, बल्कि उनके अपने थे।

झूठ नंबर 6:
हमास युद्ध विराम समझौतों में बाधा डाल रहा है।
हक़ीक़त:
हमास ने कतर, मिस्र, तुर्की और अमेरिका की मध्यस्थता में पेश किए गए कई युद्ध विराम समझौते स्वीकार किए, लेकिन नेतन्याहू ने बार-बार उन्हें अस्वीकार कर दिया ताकि वह अपनी राजनीतिक बचाव के लिए युद्ध जारी रख सके।

झूठ नंबर 7:
फ़िलीस्तीनियों की मौतों के आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जा रहे हैं।
हक़ीक़त:
फ़िलीस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय, संयुक्त राष्ट्र और स्वतंत्र निरीक्षकों के अनुसार अब तक 67,000 से अधिक फ़िलीस्तीनी शहीद हो चुके हैं, जबकि वास्तविक संख्या 2 लाख के करीब हो सकती है।

झूठ नंबर 8:
इजरायली सेना सिर्फ हमास के ठिकानों पर सटीक हमले करती है।
हक़ीक़त:
दर्जनों रिपोर्ट्स साबित करती हैं कि इजरायल ने स्कूलों, अस्पतालों, घरों और शरणार्थी शिविरों पर अंधाधुंध बमबारी की है, जिसमें अधिकांश नागरिक, महिलाएं और बच्चे मारे गए।

झूठ नंबर 9:
इजरायली सेना दुनिया की सबसे नैतिक सेना है।
हक़ीक़त:
एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच ने इजरायली सेना पर युद्ध अपराध, लूटपाट, कैदियों पर अत्याचार और सामूहिक हत्या के आरोप लगाए हैं। वीडियो में सैनिकों को फिलीस्तीनी घरों को लूटते और नागरिकों को मारते देखा जा चुका है।

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