हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक़, जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ा इल्मिया क़ुम की कार्यकारी परिषद के सदस्य हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन हुसैन बुनियादी ने हौज़ा न्यूज़ के रिपोर्टर से बातचीत में ग़ज़्ज़ा की हालिया सूरत-ए-हाल और जंगबंदी का ज़िक्र करते हुए कहा: “अमरीकी राष्टर्पति ट्रम्प ने मध्य एशिया के दौरे के दौरान बार-बार जम्हूरिया इस्लामी ईरान का नाम लिया जो इस बात की आलामत है कि ईरान ख़ित्ते में असरअंदाज़ किरदार रखता है।”
उन्होंने कहा: “ग़ज़्ज़ा की जंग ने दुनिया के सामने एक ख़बीस और मुजरिमाना गिरोह की चरम दरिंदगी को उजागर कर दिया जो न किसी अंतर्राष्ट्रीय क़ानून का एहतराम करता है और न ही इंसानी उसूलों का।”
हुज्जतुल-इस्लाम हुसैन बुनियादी ने कहा: “इजराइली हुकूमत का हक़ीक़ी चेहरा अब दुनिया वालों पर ज़ाहिर हो चुका है। दो साल पहले दुनिया के लोग इस हुकूमत के बारे में क्या सोचते थे और आज क्या है? आज सब पर इस हुकूमत की इस्तिकबारी और ज़िद्द-ए-इंसानी रविश का पर्दा फ़ाश हो गया है।”
उन्होंने जम्हूरिया इस्लामी ईरान को प्रतिरोध मोर्चे का केंद्र बताते हुए कहा: “ट्रम्प के बयानात में बार-बार ईरान का ज़िक्र होना यह ज़ाहिर करता है कि ख़ित्ते में असर व रसूख़ का मरकज़ ईरान है।”
जामेअ मुदर्रेसीन के इस सदस्य ने मजीद कहा: “कभी वह जम्हूरिया इस्लामी ईरान से ताल्लुक़ात की बात करते हैं और कभी धमकियाँ देते हैं — यह सब नफ़्सियाती खेल हैं। लेकिन इन सब बातों का ख़ुलासा यही है कि वो प्रतिरोध की धुरी को ईरान समझते हैं।”
हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन बुनियादी ने कहा: “हालिया अर्से में मिस्र के राष्ट्रपति की ओर से ईरान के राष्ट्रपति या दूसरे ईरानी अधिकारियो को शर्म-अल-शेख़ कांफ़्रेंस में शिरकत का निमंत्रण देना और जम्हूरिया इस्लामी ईरान का उस दावत को मुस्तरद कर देना एक अत्यंत सोचा समझा फ़ैसला था। इस इनकार की वज्ह यह है कि ईरान अपने अह्द, नारों और आरमानों पर क़ायम है और वो कभी भी उन क़ातिलों के साथ एक मेज़ पर नहीं बैठेगा जो मज़लूमों और दुनिया के हुर्रियत-पसंदों के क़ातिल हैं।”
उन्होंने कहा: “जो लोग वार्ता की बात करते हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि उनका मुख़ातिब कौन है। अगर कोई फ़रीक़ फ़रेब और धोखे के ज़रिए अपनी मर्ज़ी मनवाना चाहता है तो वह वार्ती नहीं बल्कि अपमान है।”
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