हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , बुशहर के सरमस्तान क्षेत्र में एक अज्ञात शहीद के अंतिम संस्कार में आयतुल्लाह बुशहरी ने सभी संस्थाओं, ज़िम्मेदारों, विद्वानों, सेवकों और जनता का धन्यवाद किया और कहा कि आपकी उपस्थिति राष्ट्र की प्रतिष्ठा और शक्ति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि हज़रते फ़ातिमा ज़हेरा की जीवन यात्रा इस बात की जीवंत मिसाल है कि हर निर्णय समझ-बूझ, जागरूकता और ईश्वर की इच्छा के अनुसार होना चाहिए।
आयतुल्लाह बुशहरी ने कहा कि दुश्मन कई वर्षों से लोगों में असंतोष फैलाने की कोशिश करता रहा है। छह साल की तीव्र प्रचार मुहिम के बाद उसे लगा था कि किसी बड़े घटना के समय जनता उसके साथ खड़ी होगी, लेकिन लोगों ने एकता और सर्वोच्च नेतृत्व के मार्गदर्शन का पालन करके ऐसा जवाब दिया जिसने दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया।
उन्होंने कहा कि दुश्मन लगातार नई साज़िशें कर रहा है और बच्चों, युवाओं व बुज़ुर्गों सहित हर व्यक्ति को लक्ष्य बना रहा है। लेकिन ईरानी जनता की समझदारी यह है कि वह दुश्मन का प्रचार सुनती है, समझती भी है, लेकिन व्यवहार में उसका साथ नहीं देती।
उन्होंने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा को “जागरूक निर्णय का सर्वोत्तम उदाहरण बताते हुए कहा कि कुछ निर्णय लालच, कुछ डर और कुछ तात्कालिक भावनाओं से प्रभावित होते हैं, परंतु हज़रते ज़हरा का हर निर्णय विवाह से लेकर सामाजिक भूमिका तक केवल ज्ञान, समझ और ईश्वर की प्रसन्नता पर आधारित था। शहीदों ने भी इसी जागरूकता, ईमानदारी और धार्मिक निष्ठा के साथ सत्य के मार्ग का चयन किया।
उन्होंने कहा कि आज जिस अज्ञात शहीद को विदा किया जा रहा है, वह पूर्ण जागरूकता के साथ संघर्ष के मैदान में उतरा था। भले ही उसके माता-पिता यहाँ नहीं हैं, लेकिन इस क्षेत्र की महिलाएँ और लोग हुसैनी भावना के साथ उसके सम्मान में निकले यह जनता की गहरी समझ का प्रमाण है।
आयतुल्लाह बुशहरी ने पैग़ंबर मुहम्मद की अनेक कथनों का उल्लेख किया,फ़ातिमा मुझे सबसे अधिक प्रिय है।फ़ातिमा मेरे शरीर का हिस्सा है, जो उसे कष्ट देता है, वह मुझे कष्ट देता है; और जो मुझे कष्ट देता है, वह ईश्वर को कष्ट पहुँचाता है।
उन्होंने कहा कि हज़रते फ़ातिमा ज़हरा उपासना, पवित्रता और समझदारी में पूरी मानवता के लिए एक चमकता हुआ सितारा थीं।
अंत में उन्होंने हज़रत फ़ातिमा की शहादत की रात का ज़िक्र करते हुए दुख व्यक्त किया कि कुछ लोग आज भी उनकी शहादत को स्वीकार नहीं करते।
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