हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,संयुक्त राष्ट्र में फ़िलिस्तीन के प्रतिनिधि रियाज़ मंसूर ने सोमवार को चेतावनी दी कि संघर्ष-विराम लागू होने के बाद भी इज़रायल की कारवाइयाँ जारी हैं और फ़िलिस्तीनी नागरिक मारे जा रहे हैं। उन्होंने सुरक्षा परिषद से कहा कि वह समझौते का पूरा पालन करवाए।
मंसूर का कहना था कि फ़िलिस्तीनी लोग अपने खिलाफ चल रही डरावनी लड़ाई के ख़त्म होने का इंतज़ार कर रहे थे लेकिन जमीन पर स्थिति बताती है कि इज़रायल अभी भी हमले कर रहा है और संघर्ष-विराम का उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनी अब भी मारे जा रहे हैं, घायल हो रहे हैं, उन्हें बहुत कम मानवीय मदद मिल रही है और टूटे हुए इलाक़े की मरम्मत भी रुक गई है।
उन्होंने बताया कि 10 अक्तूबर को संघर्ष-विराम शुरू होने के बाद से एक हज़ार से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी मारे या घायल हो चुके हैं। मंसूर के अनुसार “हर दिन दो फ़िलिस्तीनी बच्चे इज़रायल के हाथों मारे जा रहे हैं। इसका कोई तर्क नहीं हो सकता।उन्होंने इज़रायल पर आरोप लगाया कि वह मदद रोक रहा है, हमले फिर शुरू कर रहा है और ट्रंप के 20 बिंदुओं वाले योजना में तय की गई पीली रेखा से आगे बढ़कर संघर्ष-विराम को तोड़ने की कोशिश कर रहा है।
मंसूर ने माँग की कि संघर्ष-विराम को स्थायी बनाया जाए और इज़रायली सेना पूरी तरह ग़ाज़ा से हटे। उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा में न क़ब्ज़ा होना चाहिए, न ज़मीन जोड़ना, न बँटवारा। फ़िलिस्तीन की आज़ादी ही शांति का एकमात्र रास्ता है। ग़ाज़ा प्रशासन का कहना है कि इज़रायल रोज़ तय की गई मदद का सिर्फ़ एक तिहाई हिस्सा ही अंदर आने देता है।
ग़ाज़ा के सरकारी सूचना दफ़्तर ने कहा कि, इज़रायल रोज़ 200 से भी कम राहत ट्रकों को अंदर आने देता है, जबकि संघर्ष-विराम समझौते में रोज़ 600 ट्रकों की मदद पर सहमति हुई थी। यानी ग़ाज़ा को मिलने वाली मदद तय मात्रा के एक-तिहाई से भी कम है।
ग़ाज़ा प्रशासन का कहना है कि इज़रायल जान-बूझकर भूख फैला रहा है। उनके अनुसार ग़ाज़ा की 90 फ़ीसद से ज़्यादा आबादी अब गंभीर भोजन कमी से पीड़ित है। उन्होंने यह भी कहा कि इज़रायल मलबा हटाने और शव निकालने के लिए ज़रूरी भारी मशीनें ग़ाज़ा में दाख़िल नहीं होने दे रहा। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार 10 अक्तूबर से अब तक संघर्ष-विराम के बावजूद कम से कम 342 फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।
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