हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सर्दियों के मौसम की शुरुआत के साथ ग़ज़्जा में कड़ाके की ठंड है नागरिकों की समस्याएँ और बढ़ गई हैं, जबकि संयुक्त राष्ट्र और उसके राहत साझेदार ज़रूरतमंदों तक मदद पहुँचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र के समन्वय कार्यालय के अनुसार, नागरिकों को मौसम की कठिनाइयों से बचाने के लिए जूते, कपड़े, कंबल, तौलिये और अन्य आवश्यक वस्तुएँ प्रदान की गई हैं। नवंबर के अंत में हजारों बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक सहायता दी गई, साथ ही 160 सामूहिक गतिविधियों के लिए टेंट भी वितरित किए गए।
इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन डुजेरिक ने बताया कि ग़ाज़ा शहर, देर अल-बालाह और ख़ान यूनुस में उसके राहत साझेदारों ने पिछले सप्ताह हजारों लोगों को मानसिक सहायता, कानूनी सलाह और खतरनाक विस्फोटक सामग्री के बारे में जानकारी प्रदान की।
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने चिकित्सा क्षेत्र की स्थिति पर बात करते हुए बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीम ने कल 18 मरीजों और उनके 54 सहायकों को इलाज के लिए ग़ाज़ा से बाहर स्थानांतरित किया, लेकिन अब भी 16,500 से अधिक मरीजों को यह सुविधा उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।
उन्होंने सभी उपलब्ध सीमा मार्ग और रास्तों को खोलने की मांग की ताकि मरीजों को विशेष रूप से पश्चिमी तट में इलाज तक पहुँच मिल सके। इसके अलावा, आपातकालीन चिकित्सा उपचार के लिए अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा टीमों को ग़ाज़ा तक बिना रोक-टोक पहुँच प्रदान करने की भी आवश्यकता है।
इसी बीच, युद्ध-विराम के बावजूद ग़ाज़ा में हिंसा जारी है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता के अनुसार, पिछले 24 घंटों में ग़ाज़ा के सभी पांच क्षेत्रों में हवाई हमलों, गोलाबारी और फायरिंग की रिपोर्ट मिली हैं। ग़ाज़ा शहर के तफ़ाह पड़ोस से नागरिक सुरक्षा की स्थानीय टीमों द्वारा मदद की मांग आने के बाद राहत संस्थानों ने घायल लोगों को निकालने में सहायता प्रदान की हैं।
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने पश्चिमी तट में हाल के दिनों में इज़रायली सुरक्षा बलों की कार्रवाइयों के प्रभाव पर गंभीर चिंता व्यक्त की। इनमें तूबास और जेनीन के उत्तरी क्षेत्रों में हुई कार्रवाइयाँ विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, जहाँ बेघर होने, असुरक्षा, पानी के नेटवर्क की क्षति और कई व्यवसाय बंद होने की रिपोर्टें सामने आई हैं। उन्होंने बताया कि केवल पिछले दो दिनों में लगभग 20 फ़िलिस्तीनी परिवारों को उनके घरों से बेदख़ल कर दिया गया
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