सोमवार 15 दिसंबर 2025 - 22:10
पटना में ऐतिहासिक सर्वधर्म सम्मेलन; एक ही मंच पर दिखा हिंदुस्तान का गंगा-जमुनी स्वरूप

हौज़ा / राजधानी पटना के मदरसा सुलेमानिया में पैगंबर हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा (स.) के 1500वें जन्मोत्सव के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम ने सांप्रदायिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल पेश की। मोहिब्बान-ए-उम्मुल अइम्मा (अ.स.) तालीमी व फलाही ट्रस्ट' के सचिव याकूब जाफरी ने बताया कि 13 दिसंबर को मदरसा सुलेमानिया में एक ऐतिहासिक और युग-प्रवर्तक दृश्य उस समय दिखाई दिया, जब अखिल भारतीय अंतरधार्मिक सेमिनार "सीरत-ए-मुस्तफा के इंसानी नक़ूश" एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में तब्दील हो गया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,राजधानी पटना के मदरसा सुलेमानिया में पैगंबर हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा (स.) के 1500वें जन्मोत्सव के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम ने सांप्रदायिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल पेश की। मोहिब्बान-ए-उम्मुल अइम्मा (अ.स.) तालीमी व फलाही ट्रस्ट' के सचिव याकूब जाफरी ने बताया कि 13 दिसंबर को मदरसा सुलेमानिया में एक ऐतिहासिक और युग-प्रवर्तक दृश्य उस समय दिखाई दिया, जब अखिल भारतीय अंतरधार्मिक सेमिनार "सीरत-ए-मुस्तफा के इंसानी नक़ूश" एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में तब्दील हो गया।

देश विदेश के विद्वानों और बुद्धिजीवियों की उपस्थिति और ऑनलाइन शिरकत ने कार्यक्रम की रौनक बढ़ा दी। पैगंबर हज़रत मोहम्मद (स.) के प्रति प्रेम के आकर्षण ने सभी धर्मों के लोगों को एक माला के मोतियों की तरह पिरो दिया। इस कार्यक्रम का मंच अपने आप में एक महान और समावेशी भारत की तस्वीर पेश कर रहा था।

पटना में ऐतिहासिक सर्वधर्म सम्मेलन; एक ही मंच पर दिखा हिंदुस्तान का गंगा-जमुनी स्वरूप

ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष मौलाना मुराद रज़ा की पहल पर शहर की प्रमुख संस्था 'अंजुमन पंजतनी रजिस्टर्ड' ने इस सेमिनार का बीड़ा उठाया, जिसमें शहर की हर अंजुमन और सांस्कृतिक संस्था ने सहयोग दिया। कार्यक्रम की शुरुआत मोहम्मद इफहाम अब्बास की तिलावत से हुई और संचालन मौलाना मुराद रज़ा ने किया। इसके बाद कमसिन के मन्क़बत-ख्वां मुंतज़िर हैदर ने अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं का दिल जीत लिया।

गुरु गोविंद सिंह जी के गुरुद्वारे से पधारे दलजीत सिंह जी ने मुसलमानों और सिखों की समानताओं पर बेहतरीन भाषण देते हुए कहा कि सिख समाज का मूल संविधान जनसेवा और मजलूमों का समर्थन है, और इस्लाम की भी यही शिक्षा है। इस अवसर पर शिया समाज की ओर से पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए एक लाख रुपये का चेक भेंट किया गया, जिसे उन्होंने असली धर्म और मानवता की सेवा का प्रतीक बताया। मौलाना अमानत हुसैन ने चंद्रभान ख्याल की पुस्तक 'लौलाक' का परिचय दिया, जिसमें पैगंबर की शान में 750 अशआर लिखे गए हैं।

पटना में ऐतिहासिक सर्वधर्म सम्मेलन; एक ही मंच पर दिखा हिंदुस्तान का गंगा-जमुनी स्वरूप

इस सेमिनार में हिंदुस्तान में इमाम खामेनेई के नुमाइंदे डॉ. हकीम इलाही का पैग़ाम भी पढ़ा गया. मौलाना जकरिया ने उनका संदेश पढ़ते हुए बताया कि इमाम खामनेई की निगाह में भारत अंतरधार्मिक संवाद के लिए सबसे उपयुक्त जगह है, ताकि सभी मिलकर समाज से अत्याचार को खत्म कर सकें।

हौज़ए इल्मिया क़ुम के प्रोफेसर आयतुल्लाह अहमद आबिदी ने अपने ऑडियो संदेश में कहा कि आज की झुलसती दुनिया में रसूल-ए-रहमत का चरित्र ही आग बुझाने का साधन है। उन्होंने कहा कि पैगंबर की शिक्षा है कि अगर कोई बिल्ली को भी सताए तो वह जहन्नमी है। युद्ध में भी पेड़ काटना या बच्चों को मारना अपराध है। यदि कोई मुसलमान किसी निर्दोष गैर-मुस्लिम की हत्या करता है, तो मैं (पैगंबर) कयामत के दिन उस कातिल के खिलाफ गवाही दूंगा।

पटना में ऐतिहासिक सर्वधर्म सम्मेलन; एक ही मंच पर दिखा हिंदुस्तान का गंगा-जमुनी स्वरूप

सेमिनार में भारतीय संस्कृति की झलक दिखी जब बहराइच से आए पंडित ए. गुलशन पाठक और अमरोहा के पंडित भुवन शर्मा ने पैगंबर की शान में नात पढ़ी, जिस पर पूरा सदन झूम उठा। सुन्नी शायर नसीर अंसारी बाराबंकवी की शायरी को भी खूब सराहना मिली।

खानकाह इमादिया के सज्जादानशीन मौलाना शाह मिस्बाह-उल-हक इमादी ने कहा कि इस सेमिनार ने हर विचारधारा को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया है। यह एक ऐसा बगीचा है जिससे मानवता के निशान महकेंगे।

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वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (आरा) के पूर्व कुलपति आचार्य प्रोफेसर धर्मेंद्र कुमार तिवारी का भाषण किसी सूफी जैसा प्रतीत हुआ। उन्होंने कहा, "नफरत को नफरत से नहीं मिटाया जा सकता। आप मोहब्बत की लकीर को इतना लंबा कर दें कि नफरत की लकीर खुद-ब-खुद छोटी हो जाए।" उन्होंने कहा कि इस्लाम सुरक्षा का धर्म है, जो मरीज से नहीं, मर्ज से नफरत करता है। इस्लाम पर अमल करने वालों का नाम आग बुझाने वालों में लिया जाता है, आग लगाने वालों में नहीं। आचार्य धर्मेंद्र कार्यक्रम से इतने प्रभावित हुए कि एक घंटे के बजाय चार घंटे तक बैठे रहे और भावुक होकर मौलाना मुराद रज़ा को गले लगा लिया।

सेमिनार के अंत में आयतुल्लाह अल-उज़मा सैयद अली सिस्तानी के प्रतिनिधि मौलाना सैयद अशरफ अल-ग़रवी ने कहा कि शासन में ताकत के साथ हमदर्दी होना जरूरी है। अगर शासक दरिंदा हो जाए तो सामाजिक व्यवस्था बिखर जाएगी। इस आयोजन में शांति समिति के सदस्यों संजय मालाकार, मोहम्मद जावेद आलम, मोहम्मद रफीक, बलराम चौधरी आदि और शिया उलेमाओं मौलाना असद रज़ा, मौलाना नज़र अली, मौलाना दिलबर रज़ा आदि ने भी शिरकत की।

इस मौके पर चंद्रभान ख्याल की 'लौलाक', भुवन अमरोहवी की 'अकीदत के फूल', डॉ. धर्मेंद्र नाथ की 'हमारे रसूल' जिसमें 400 से अधिक हिंदू कवियों की रचनाएं हैं और मौलाना मुराद रज़ा की दो पुस्तकों 'आमिना मादर-ए-रिसालत' और 'पैगंबर-ए-रहमत' का विमोचन किया गया।

पटना में ऐतिहासिक सर्वधर्म सम्मेलन; एक ही मंच पर दिखा हिंदुस्तान का गंगा-जमुनी स्वरूप

कार्यक्रम के सफल आयोजन में अंजुमन पंजतनी के महासचिव सैयद अली इमाम, अध्यक्ष सैयद तनवीर उल हसन खान और उपाध्यक्ष प्रोफेसर मिर्ज़ा अब्बास की भूमिका सराहनीय रही। अंत में प्रशासन, पुलिस और मीडिया का आभार व्यक्त किया गया।

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