हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार. हज़रत अली (अ) के शुभ जन्मदिवस के अवसर पर अमरोहा के इमामिया रिसर्च सेंटर, हक़ानी स्ट्रीट में एक शैक्षिक सेमिनार आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में शहर के विद्वानों, साहित्यकारों और गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
डॉ. शहवार हुसैन नकवी ने अध्यक्षीय भाषण में कहा: "हज़रत अली (अ) ने अपने शासनकाल में समाज के सभी वर्गों के अधिकारों की रक्षा की। उनके शासन में ग़ैर-मुस्लिम भी उतने ही सुरक्षित थे जितने कि मुसलमान। उन्होंने धार्मिक और नस्ली भेदभाव को समाप्त किया और इंसानियत के आधार पर सम्मान का सिद्धांत स्थापित किया।
उन्होंने 1400 साल पहले रोटी, कपड़ा और मकान की समस्या का हल किया। हर व्यक्ति के पास यह बुनियादी ज़रूरतें थीं। रात के अंधेरे में खुद ग़रीबों के घर जाकर खाना बांटते थे। शासक होने के बावजूद खुद भूखे रहते थे, लेकिन गरीबों की भूख बर्दाश्त नहीं करते थे। वे साधारण कपड़े पहनते थे और गुलामों को कीमती कपड़े पहनाते थे। बड़े महल में नहीं, बल्कि एक साधारण घर में रहते थे। उनका यह आचरण दुनिया के शासकों को यह सिखाने का संदेश देता है कि एक शासक को अपनी प्रजा के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए।
प्रोफेसर नाशिर नकवी ने कहा:"आज जरूरत इस बात की है कि मौला अली (अ) पर शोध कार्य किया जाए, जो उनके परिचय के लिए सहायक हो।"
उन्होंने डॉ. शहवार हुसैन की शोध पुस्तक “अली शनासी दर कुतुब” की सराहना की, जिसमें हज़रत अली (अ) से संबंधित 1134 किताबों का परिचय प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने इसे शोधकर्ताओं के लिए एक उत्कृष्ट मार्गदर्शक बताया।
मौलाना रज़ा काज़िम तकवी ने कहा: "आज की जरूरत यह है कि इमाम अली (अ) के जीवन से प्रेरणा ली जाए और उनके जीवनचरित का पालन किया जाए।
मौलाना शादाब हैदर ने कहा: मौला अली (अ) ने समाज के हर वर्ग के अधिकारों को पूरा करके दिखाया कि एक जिम्मेदार शासक वही है, जो अपनी प्रजा का ख्याल रखे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. लाडले रहबर ने किया। तिलावत-ए-क़ुरान का कार्य मौलाना मंज़र अब्बास ने किया। जनाब शान हैदर, जनाब नौशा अमरोही, जनाब ताजदार मुजतबा, जनाब नवाज़िश नकवी और जनाब मोहम्मद अस्करी ने मौला अली (अ) को अपनी अशआर के माध्यम से श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम में हज़रत अली (अ) के जीवन और गुणों पर लिखी गई पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। दुआ के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ।
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