अम्र बिल मारूफ नही अज मुनकर
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शरई अहकामः
अम्र बिल मारूफ़ के लिए हाकिमे शरआ की अनुमति के लिए आवश्यक अवसर
हौज़ा/ आयतुल्लाहिल उज़्मा नासिर मकारिम शिराज़ी से शरई सवाल पूछा कि ऐसे कौन से अवसर हैं जिनमें अम्र बिल-मारूफ और नहीं अनिल-मुनकर के लिए हाकिमे शरअ की अनुमति आवश्यक है और कोई व्यक्ति स्वयं कार्रवाई नहीं कर सकता?
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शाबान के महीने में रोज़े रखने की अहमियत
हौज़ा/हज़रत इमाम सादिक़ अ.स. से किसी ने माहे रजब के रोज़े के बारे में पूछा तो आपने फ़रमाया शाबान के रोज़े से क्यों ग़ाफ़िल हो? आपसे सवाल किया गया कि माहे शाबान में एक रोज़े का कितना सवाब है? आपने फ़रमाया ख़ुदा की क़सम एक रोज़े का सवाब जन्नत है
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शरई अहकामः
बच्चों को नमाज़ पढ़ने और हिजाब पहनने के लिए किस हद तक मजबूर कर सकता है?
हौज़ा | यदि वे बालिग हैं, तो अम्रर बिल मारूफ वा नही अज़ मुंकर किया जा सकता है। और एहतियाते वाजिब की बिना पर हाकिमे शरआ की अनुमति के बिना उन्हें पीटना जायज़ नहीं है।
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दिन की हदीसः
अम्र बिल मारूफ़ और नही अज़ मुनकर तरक करने का अंजाम
हौज़ा / पवित्र पैगंबर (स) ने एक हदीस में अम्र बिल मारूफ़ और नही अज़ मुनकर तरक करने के अंजाम की ओर इशारा किया है।
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आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली हुसैनी सिस्तानी का फ़तवाः
गैर शियाओं और काफिरों को अम्र बिल मारूफ़ और नही अज़ मुंकर करना
हौज़ा / हौज़ा ए इल्मिया नजफ़ अशरफ के प्रसिद्ध शिया आयतुल्लाहलि उज्मा सय्यद अली हुसैनी सिस्तानी ने ग़ैर शियाऔ और काफिरो को अम्र बिल मारूफ और नही अज़ मुंकर करने से संबधित पूछे गए सवाल का जवाब दिया है।
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श्रीनगर में चल रही अशरा मजलिस से संबोधन:
इमाम हुसैन (अ.स.) की शहादत का उद्देश्य अम्र बिल मारूफ़ वा नही अज़ मुनकर था
हौज़ा / मौलाना ने कहा: इमाम हुसैन (अ.स.) की शहादत का उद्देश्य अम्र बिल मारूफ़ वा नही अज़ मुनकर था और इस सुन्नत को समाज मे व्यवहारिक बनाने की ज़रूरत है। यह हर पुरुष आस्तिक की जिम्मेदारी है कि वह अम्र बिल मारूफ़ वा नही अज़ मुनकर करे।
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दिन की हदीसः
अम्र बिल मारूफ़ का उद्देश्य
हौज़ा / हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ.) ने हदीस में अम्र बिल मारुफ़ के उद्देश्य का वर्णन किया है।
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अम्र बिल-मारूफ़ और नही अज़-मुनकर की छाया में धर्म का पुनरुद्धार
हौज़ा/ अम्र बिल-मारुफ़ और नहीं-अज़ मानकर समिति समाज के सांस्कृतिक निर्माण, रोल मॉडल और व्यवहार निर्माण जैसे तीन तत्वों के माध्यम से लोगों के बीच सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने और मजबूत करने का प्रयास करती है।
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इमामे जुमा यज़्द:
अच्छाई की आज्ञा देने और बुराई के निषेध (अम्र बिल मारूफ नही अज़ मुनकर) की विधि धर्म से घृणा का कारण नहीं बननी चाहिए
हौज़ा / यज़्द प्रांत में सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि आयतुल्लाह नासिरी ने कहा: वह जो अच्छाई का आदेश देता है और बुराई को मना करता है, उसे उसके तौर-तरीकों को जानना चाहिए और इस तरह से कार्य करना चाहिए कि संबोधित करने वाले को धर्म से घृणा न हो।