۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024

अली अब्बास जैनबी

Total: 1
  • तअस्सुब

    तअस्सुब

    हौज़ा / हमारी हालत उस मेंढक की तरह हो गई है जिसे उरूज पसंद ही नहीं वह तालाब और नाली के सड़े व बदबूदार पानी को ही अपना मुक़द्दर समझता है। हम एक ही मज़हब में अलग-अलग मसलक के लोग एक दूसरे से तअस्सुब के शिकार हैं एक दूसरे को देखना पसंद नहीं करते जिसका पूरा फा़यदा दूसरे लोग उठा रहे हैं।

अधिक देखी गई ख़बरें

ताजा समाचार