हौज़ा / मरहूम ने अपनी पूरी ज़िंदगी दीन ए इस्लाम की ख़िदमत, तालीम और तदरीस (शिक्षा व अध्यापन) में वक़्फ कर दी उनकी दीनी सेवाओं और रूहानी शख्सियत ने लोगों के दिलों पर गहरा असर छोड़ा हैं।