हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा जवाद़ी आमुली ने कहां,यह ज़रूरी नहीं कि कोई खामी कब इंसान को रुसवा कर दे! बेहतर यही है कि हम पहले ही अपनी खामी को सुधार लें क्योंकि रास्ता हमारे लिए खुला है।