आमाले रोज़े आशूरा
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आशूरा के दिन इटली में इमामिया कल्याण संगठन द्वारा आयोजित जुलूस निकाला गया
हौज़ा / हुसैन या हुसैन की आवाज से गूंज उठा। अलम, शबीह, मातम, नौहा और मरसीया की ध्वनि के बीच जुलूस चलता रहा। इस मातमी जुलूस में बुजुर्ग, बच्चे, महिला-पुरुष और युवाओं के अलावा हर उम्र के लोग शामिल हुए।
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इस्लामी कैलेंडरः
10 मुहर्रम 1445 -28 जुलाई 2023
हौज़ा / इस्लामी कैलेंडर: 10 मुहर्रम 1445 -28 जुलाई 2023
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हौज़ा ए इल्मिया शहीद सालिस काज़ी नूरुल्लाह शुश्त्री क़ुम के छात्रों ओर से आशूरा के दिन "सबील बे याद तिशनागाने कर्बला" का आयोजन
हौज़ा /अस्रे अशूरा हौज़ा ए इल्मिया शहीद सालिस क़ाज़ी नूरुल्लाह शुश्त्री क़ुम ने कर्बला के प्यासे बच्चों की याद में एक सबील का आयोजन किया।
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आज आशुरा ए हुसैनी ईरान में बड़ी श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जा रही है
हौज़ा / आज, हुसैनी (अ.स.) मातम करने वालों को काले कपड़े पहनाए जाते हैं और हुसैन (अ.स.) या अबुल फ़ज़ल (अ.स.) की आवाज़ें हर जगह से सुनी जा रही हैं, और ईरान के सभी शहर और गाँव हुसैन की अजादारी मनाने वालों से भरे हुए हैं। कर्बला के शहीदों के गम में आंखें भर आई हैं।
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है कोई जो मेरा साथ दे ? -- इमाम हुसैन
हौज़ा / हुसैन’ की कुर्बानी ने लोगों को जागृत कर दिया, और केवल सच्चे लोगों ने यज़ीद के शासन का तख्ता उलट दिया । ‘हुसैन’ के सत्याग्रह से दुनिया का जनसमुदाय भी प्रभावित हुआ, न्याय और स्वतंत्रता के लिए हर जगह क्रांती आयी । लोकमान्य तिलकजी ने कहा - ‘हुसैन विश्व के पहले सत्याग्रही हैं !’
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रोज़े आशूरा और हिफ़्ज़े इनसानियत, मौलाना रज़ी हैदर फंदेड़वी दिल्ली
हौज़ा / इमाम हुसैन (अ.स.) आज़ादी, सच्चाई, हक, न्याय और मानवता के नेता हैं। तभी तो वाका ए कर्बला के बाद से आज तक हर देश, शहर और हर कौम व क़बीले मे उनका ग़म और ज़िक्र पाया जाता है और कयामत तक पाया जाता रहेगा।