दिन-रात इमाम हुसैन (अ) के मातमी लोग अलग-अलग समूहों में हजरत मासूमा फातिमा (स) की सेवा में उपस्थित होकर मातम, मातम और केवल मातम कर रहे हैं तथा बीबी (स) को कर्बला के शहीदों का पुरसा दे रहे हैं।
अज़ादारी करने वाले समूहों में शामिल मातमी लोगों ने "लब्बैक या हुसैन" और "या अबल फ़ज़्ल लिल अब्बास" के अलम उठाए हुए हैं तथा मातम के साथ-साथ "अमेरिका मुर्दाबाद" और "इज़राइल मुर्दाबाद" के नारे लगा रहे हैं।
नौहो के साथ-साथ हुसैनी मातमी लोगों ने विभिन्न नारों के माध्यम से इमाम हुसैन (अ) के बेटे और इस्लामी क्रांति के नेता हजरत अयातुल्ला सय्यद अली ख़ामेनेई के प्रति अपना पूर्ण समर्थन और वफ़ादारी भी दोहराई।
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