हौज़ा / सजदा करने के लिए नीयत का होना जरूरी है और सजदे की एहतियात के आधार पर सजदा करना सही है। यह भी सिफारिश की जाती है कि सजदे में ज़िक्र का पाठ किया जाए, जैसे नमाज के सज्दे मे पढ़ा जाता है।