۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा / सजदा करने के लिए नीयत का होना जरूरी है और सजदे की एहतियात के आधार पर सजदा करना सही है। यह भी सिफारिश की जाती है कि सजदे में ज़िक्र का पाठ किया जाए, जैसे नमाज के सज्दे मे पढ़ा जाता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी 

सवाल: जब भी मै कुरान की सजदे वाली आयत को सुनूं तू मुझे क्या करना चाहिए?

उत्तर: वास्तव में, सज्दा करने के दायित्व के बारे में कुरान में केवल चार आयतें हैं, जो चार सूरो (अल-सज्दा), (फुस्सेलत), (अल-नज्म) और (अल-अलक) में हैं, जबकि सज्दा की बाकी आयतों में सजदा करने की सलाह दी जाती है।
सजदा करने के लिए नीयत का होना जरूरी है और सजदे की एहतियात के मुताबिक सजदा करना सही है। यह भी सिफारिश की जाती है कि सजदे में ज़िक्र का पाठ किया जाए, जैसे नमाज के सज्दे मे पढ़ा जाता है। अगर रेडियो, टीवी (अनडायरेक्ट) या रिकॉर्डिंग से सज्दे वाली आयत आती है तो यह वाजिब नहीं है, लेकिन अगर इसे पाठक से (सीधे) सुनाया जाता है, तो सजदा करना वाजिब है। जबकि कुछ सुनते समय कुछ सुनने का इरादा भी हो, ना यह कि बिना इरादे के कुछ आवाज कान तक आ रही हो।

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